
✍ रिपोर्ट: प्रतिवाद डेस्क | 8 अप्रैल 2025।
तकनीक से डर क्यों? जब दुनिया ब्लॉकचेन वोटिंग अपना रही है, हम अब भी EVM पर अटके हैं!
"डर बदलाव का सबसे बड़ा दुश्मन है।"
आज जब दुनिया के कई देश लोकतंत्र को डिजिटल भविष्य की ओर ले जा रहे हैं — जैसे ऑनलाइन वोटिंग, ब्लॉकचेन आधारित चुनाव, और AI आधारित निगरानी — भारत अब भी पुरानी बहसों में उलझा है: EVM सही है या नहीं?
इतिहास गवाह है, जब-जब कोई नई तकनीक आई, उसे पहले "शैतान का औज़ार" कहकर नकारा गया।
चाहे वो प्रिंटिंग प्रेस हो या टेलीफोन, साइकिल हो या बिजली का बल्ब, हर बार टेक्नोलॉजी को अंधविश्वास और रूढ़िवादिता ने रोकने की कोशिश की। पर क्या वो सफल हुए?
आज फिर वही दौर लौट आया है — लेकिन अब समय है सीखने और आगे बढ़ने का।
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे "टेक्नोलॉजी से डरना" एक ऐतिहासिक रोग है, और क्यों भारत को अब इस डर से बाहर निकलकर डिजिटल लोकतंत्र की दिशा में साहसिक कदम बढ़ाना चाहिए।
आज जब मैं दुनिया के कई देशों को ऑनलाइन और ब्लॉकचेन वोटिंग की ओर बढ़ते हुए देखता हूँ और वहीं भारत में नागरिकों को अब भी EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर बहस करते हुए पाता हूँ — तो मन इतिहास की कुछ पुरानी गलियों में चला जाता है।
यह बहस कोई नई नहीं है, बल्कि एक पुराना रोग है — प्रविधिकी का भय, यानि टेक्नोलॉजी से डर!
⚙️ जब प्रिंटिंग प्रेस को शैतान का आविष्कार कहा गया था
1440 में जब गुटनबर्ग ने प्रिंटिंग प्रेस बनाया, तो उस समय का कैथोलिक चर्च उसे "पैशाचिक आविष्कार" बताने लगा।
बाइबिल की छपाई से लोगों में ज्ञान फैलेगा — ये बात कुछ शक्तियों को रास नहीं आई।
☎️ जब टेलीफोन बना ‘शैतान का यंत्र’
ग्राहम बेल का टेलीफोन आया तो रूढ़िवादी बोले — "ये शैतान का औज़ार है!"
लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने वाला यंत्र, डरावना इसलिए था क्योंकि वो अज्ञात था।
? जब कार को कहा गया ‘पाप का राजमार्ग’
ऑटोमोबाइल को देखने वालों ने कहा – "ये पाप की ओर खुला रास्ता है!"
क्योंकि वो घोड़े से तेज़ था और सोच से आगे।
? जब टीवी को कहा गया ‘एक आंख वाला दैत्य’
टेलीविज़न ने जैसे ही लोगों के घर में प्रवेश किया, तो कट्टरपंथियों ने उसे "one-eyed monster" की संज्ञा दी।
उन्होंने सोचा कि यह नैतिकता को खत्म कर देगा — जबकि उसने ज्ञान और मनोरंजन का नया युग शुरू किया।
? जब रेल को बताया गया ‘घुटन देने वाला यंत्र’
रेल का विरोध करने वालों ने कहा — "इसकी गति इंसान को asphyxia (घुटन) दे देगी।"
? जब बल्ब को कहा गया ‘ईश्वर की व्यवस्था को चुनौती’
1882 में रेवरेंड हेनरी हाइटॉन ने कहा:
"Electric light is a defiance of God's order of day and night."
मतलब रात को रोशन करना, ईश्वर के खिलाफ है!
?♀️ जब साइकिल महिलाओं की ‘शालीनता का दुश्मन’ बना
1896 में चार्लोटे स्मिथ ने कहा:
"The bicycle has done more to destroy the modesty of women..."
क्योंकि अब महिलाएं साइकिल पर अकेले बाहर निकलने लगी थीं।
?️ जब सिनेमा बना ‘नैतिकता का सबसे बड़ा खतरा’
कार्डिनल विलियम ओ’ कोनेल ने सिनेमा को बताया —
"The greatest menace to morals..."
? जब इंटरनेट बना 'शैतान की योजना'
रेवरेंड जैरी फॉल्वेल बोले — इंटरनेट वो जाल है जिसमें आत्माएं अपने घरों में ही फंस जाएंगी।
कैथोलिक पत्रिका The Wanderer ने इसे "road to perdition" यानी "पतन का राजमार्ग" कहा।
? और अब... ब्लॉकचेन वोटिंग पर वही पुराना डर!
आज जब दुनिया ब्लॉकचेन आधारित पारदर्शी वोटिंग की ओर अग्रसर है —
जहां डेटा इम्युटेबल (अपरिवर्तनीय) होता है, हैकिंग असंभव मानी जाती है और पारदर्शिता चरम पर होती है —
वहीं हम आज भी इस बात पर लड़ रहे हैं कि EVM ठीक है या नहीं।
? तकनीक से डर नहीं, समझ चाहिए
इतिहास ने हमें बार-बार सिखाया है —
? टेक्नोलॉजी को डरा कर रोका नहीं जा सकता।
? भय के नाम पर प्रगति को अवरुद्ध करना आत्मघाती है।
? दुनिया को आँखें खोलकर देखिए... और सीखिए!
आज जब एस्टोनिया, स्विट्ज़रलैंड, अमेरिका जैसे देश इंटरनेट वोटिंग, ब्लॉकचेन एन्क्रिप्शन, AI इलेक्शन मॉनिटरिंग जैसे बदलावों की ओर बढ़ रहे हैं, तो भारत को भी यह समझना होगा कि भविष्य EVM में नहीं, टेक्नोलॉजी में है।
? नोट: यह लेख श्री मनोज श्रीवास्तव (पूर्व प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश) द्वारा फेसबुक पर साझा किए गए विचारों से प्रेरित है।
? स्रोत: Manoj Shrivastava's Facebook Post https://www.facebook.com/share/p/193CoQmgqC/
? हम उनके विचारों के लिए आभार प्रकट करते हैं।