सीएम डॉ. मोहन यादव की सादगी वाली छवि परिवार में भी दिखी
15 दिन में मां नर्मदा की परिक्रमा पूरी करेंगे डॉ. अभिमन्यु-इशिता
यह यात्रा यादव परिवार के लिए बन चुकी परंपरा और आस्था का प्रतीक
डॉ. अभिमन्यु-इशिता ने 30 नवंबर को सामूहिक विवाह सम्मेलन में की थी शादी
24 दिसंबर 2025। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सादा जीवन-उच्च विचार के लिए जाने जाते हैं। उनकी यह छवि उनके परिवार में भी दिखाई देती है। हाल ही में सामूहिक विवाह सम्मेलन में शादी करने वाले उनके बेटे डॉ. अभिमन्यु और बहू डॉ. इशिता नर्मदा परिक्रमा पर निकले हैं। उन्होंने बड़े भाई वैभव-भाभी, बड़ी बहन-जीजाजी के साथ 22 दिसंबर को ओंकारेश्वर से यह परिक्रमा शुरू की। यह परिक्रमा मां नर्मदा के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने, नवदांपत्य जीवन की मंगल कामना करने, पारिवारिक स्वास्थ्य, मानसिक शांति तथा समाज के कल्याण के संकल्प के साथ की जा रही है। इससे पहले अभिमन्यु के बड़े भाई वैभव यादव भी नर्मदा परिक्रमा कर चुके हैं। इस तरह यह परिक्रमा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के परिवार के लिए परंपरा और आस्था का प्रतीक बन गई है। उनके परिवार का मां नर्मदा से गहरा आध्यात्मिक जुड़ाव रहा है।

डॉ. अभिमन्यु ने पत्नी इशिता के साथ सिर पर कलश रखकर यात्रा के लिए निकले। उनके पैर नंगे थे और उन्होंने सफेद कुर्ता पायजामा पहना था। उन्होंने और इशिता ने मां नर्मदा की पहले पूजा की, फिर उनकी आरती भी उतारी। उसके बाद उन्होंने ब्राह्मणों को भोज भी कराया। इस परिक्रमा को लेकर डॉ. अभिमन्यु ने कहा कि यह यात्रा पौष मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को प्रारम्भ की है। हम यह आशा लेकर निकले हैं कि मां नर्मदा इस परिक्रमा को अपने आशीर्वाद से पूरा कराएं। हमारी यह परिक्रमा 15 दिनों में पूरी हो जाएगी। यह धर्म यात्रा है। हमने श्रद्धा और परमात्मा के ऊपर छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि मैं उज्जैन में पला-बढ़ा हूं। यहां महाकाल हैं, मां शिप्रा हैं। उनके तट पर सनातन धर्म को स्पर्श करने का मौका मिला। संस्कार सदा मुझे और मेरे परिवार को धर्म की से जोड़ते रहे हैं।

आशीर्वाद लेने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते
डॉ. अभिमन्यु ने कहा कि मैं और मेरी धर्म पत्नी की हमेशा यह इच्छा होती है कि धार्मिक यात्रा पर जाएं, धार्मिक स्थलों पर जाएं और भगवान का आशीर्वाद लें। मां नर्मदा कल्पों से सनातन धर्म के प्राणों को प्रवाह देतीं रहीं हैं। हमारे पूरे परिवार की श्रद्धा और आस्था मां नर्मदा पर है। यह परिक्रमा उनका आशीर्वाद लेने के लिए की जा रही है। यह परिक्रमा कुछ दिनों के लिए स्वयं को सनातन धर्म में पूर्णतः समर्पित करने के लिए है। एक सवाल के जवाब में डॉ. अभिमन्यु ने कहा कि मैं और धर्म पत्नी दोनों अभी भी पढ़ रहे हैं। अगले महीने हम दोनों की पढ़ाई शुरू हो जाएगी। इसलिए पैदल यात्रा अभी संभव नहीं हो पाती। चूंकि, मन में मां नर्मदा और उनके आसपास के तीर्थों के दर्शन की अभिलाषा थी, इसलिए जो समय मिला, उसी में यात्रा के लिए निकल पड़े। हम मां से आशीर्वाद लेने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते थे।

कोई शिक्षा जड़ों से दूर नहीं कर सकती
डॉ. अभिमन्यु ने कहा कि राष्ट्र सेवा हम सब का सर्वोच्च धर्म है। सनातन संस्कृति और परंपराएं हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं, वहीं हम सभी का प्राण भी हैं। कोई पेशा या शिक्षा ऐसी नहीं हो सकती, जो आपको इनसे दूर रहना सिखाती हो। मैं डॉक्टर हूं, तो मरीजों की सेवा करूंगा। कोई पत्रकार है, तो वह समाज को जागरूक करेगा। ऐसे ही सब अपनी-अपनी भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन, इस भूमिका के साथ हमें भारत की जड़ों में मौजूद आध्यात्म और धर्म के साथ जुड़ना चाहिए। हमें अपने तीर्थों, धार्मिक यात्राओं और परिक्रमाओं में जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आजकल के युवाओं में अपनी मातृभूमि, संस्कारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूकता देखकर अच्छा लगता है। यात्रा में कई युवा साथी मिलते हैं, तो खुशी होती है।
विवाह में भी सादगी की मिसाल
गौरतलब है कि, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 30 नवंबर को दुनिया के सामने सादगी की मिसाल पेश की थी। उन्होंने बेटे अभिमन्यु की शादी सामूहिक विवाह सम्मेलन में कराई थी। इस सम्मेलन में 21 जोड़ों ने सामूहिक विवाह किया था। शिप्रा नदी के तट पर हुई इस शादी में कोई वीआईपी व्यवस्था नहीं थी, कोई डेकोरेशन नहीं था, कोई अलग मंडप नहीं सजा था। इस दौरान दूल्हा-दुल्हन ने गिफ्ट लेने से भी मना कर दिया था। सीएम डॉ. मोहन यादव का यह फैसला दिखावे वाली शादियों के खिलाफ था। उन्होंने कहा था कि विवाह में सादगी, सामाजिक समरसता और "सबका साथ, सबका विकास" का भाव दिखना चाहिए। इससे पहले फरवरी 2024 में उनके बड़े बेटे वैभव की शादी भी राजस्थान के पुष्कर में सादगी से हुई थी।














