30 दिसंबर 2025। देश के सबसे स्वच्छ शहर का तमगा पाने वाले इंदौर में एक गंभीर सच सामने आया है। भागीरथपुरा इलाके में दूषित पेयजल पीने से अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 100 से ज्यादा लोग उल्टी-दस्त की चपेट में आकर अस्पताल पहुंचे। हैरानी की बात यह है कि पहली मौत 26 दिसंबर को हो गई थी, लेकिन जिम्मेदार तंत्र तब तक सोता रहा जब तक हालात बेकाबू नहीं हो गए।
कैसे खुला मामला
सोमवार को अचानक 100 से अधिक लोगों को उल्टी-दस्त की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इनमें से 34 मरीजों की हालत इतनी गंभीर थी कि उन्हें भर्ती करना पड़ा। मंगलवार तक मौतों का आंकड़ा 8 तक पहुंच गया।
हैजा की पुष्टि, बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित
भागीरथपुरा में फैली बीमारी का कारण हैजा माना जा रहा है। चाचा नेहरू अस्पताल में भर्ती तीन वर्षीय बच्चे की जांच रिपोर्ट में हैजा की पुष्टि हुई है। फिलहाल इलाके के पांच बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें तेजस, शिवा (11 माह), यश, लक्ष्मी और लाणव्या शामिल हैं। सभी को तेज उल्टी-दस्त की शिकायत है।
इसी दौरान शिवा की दादी उर्मिला की मौत हो चुकी है। अब तक करीब 20 लोगों के सैंपल लिए जा चुके हैं, जिनमें से एक रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
जांच में क्या निकला
स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की टीम ने मंगलवार को इलाके का सर्वे किया। नतीजा चौंकाने वाला रहा।
जिस मुख्य पाइपलाइन से पूरे भागीरथपुरा में पानी सप्लाई होता है, उसके ऊपर ही सार्वजनिक शौचालय बना हुआ था।
पाइपलाइन के फूटने से ड्रेनेज सीधे पेयजल लाइन में मिल गया।
इलाके में कई जगह जल वितरण लाइन टूटी हुई मिली, जहां से गंदा पानी घरों तक पहुंच रहा था।
यानी बीमारी अचानक नहीं फैली, उसे सिस्टम की लापरवाही ने फैलाया।
पानी की सप्लाई बंद, टैंकरों से व्यवस्था
हालात बिगड़ने के बाद पूरे भागीरथपुरा में नर्मदा जल की सप्लाई बंद कर दी गई है। फिलहाल टैंकरों के जरिए पानी पहुंचाया जा रहा है।
अब तक जिनकी मौत दर्ज हुई है, उनमें गोमती रावत, उर्मिला यादव, सीमा प्रजापत, उमा पप्पू कोरी, नंदलाल पाल, मंजूला दिगंबर और तारा रानी शामिल हैं।
मंत्री और महापौर पहुंचे अस्पताल
सोमवार शाम नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और महापौर पुष्यमित्र भार्गव अस्पताल पहुंचे और मरीजों का हाल जाना। उल्लेखनीय है कि भागीरथपुरा का बड़ा हिस्सा मंत्री विजयवर्गीय के विधानसभा क्षेत्र इंदौर-1 में आता है।
जिम्मेदारी किसकी
नगर निगम की व्यवस्था में जिन अधिकारियों पर सीधे तौर पर जलप्रदाय और ड्रेनेज की जिम्मेदारी थी, उनमें शामिल हैं:
उपयंत्री शुभम श्रीवास्तव: भागीरथपुरा क्षेत्र में जल वितरण और दूषित जल के निराकरण की जिम्मेदारी
सहायक यंत्री योगेश जोशी: 311 हेल्पलाइन पर आई शिकायतों के समाधान और लीकेज दुरुस्त कराने की जिम्मेदारी
कार्यपालन यंत्री संजीव श्रीवास्तव: शहरभर की जलप्रदाय व्यवस्था की निगरानी
अपर आयुक्त रोहित सिसोनिया: ड्रेनेज और नर्मदा जल वितरण विभाग की मॉनिटरिंग
निगमायुक्त दिलीप कुमार यादव: शहर की पेयजल, ड्रेनेज और स्वच्छता व्यवस्था की समग्र जिम्मेदारी
कागजों में जिम्मेदारियां साफ हैं, जमीन पर जवाब अब भी धुंधले हैं।
सुबह से रात तक चली जांच
सुबह 6 बजे: 32 लेन में 64 घरों से पानी के सैंपल लिए गए
दावा: नलों में साफ पानी आने की बात कही गई
दोपहर 2 बजे: पानी की टंकी और पुलिस चौकी के पास बने शौचालय को जेसीबी से तोड़ने की कार्रवाई शुरू हुई
असली सवाल
स्वच्छता पुरस्कार और वाटर प्लस सर्टिफिकेट के बीच सवाल यही है कि अगर शिकायतें पहले से थीं, मौत पहले हो चुकी थी, तो कार्रवाई देर से क्यों हुई। 8 जानें किसी तकनीकी खराबी का नहीं, सिस्टम की सुस्ती का नतीजा हैं।
अब देखना यह है कि जांच के बाद सिर्फ बयान बदलते हैं या व्यवस्था भी।














