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दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटना के 39 साल

Location: भोपाल                                                 👤Posted By: prativad                                                                         Views: 1965

भोपाल: 2 दिसंबर 2023। भोपाल गैस त्रासदी, जिसे यूनियन कार्बाइड गैस त्रासदी के नाम से भी जाना जाता है, 2 और 3 दिसंबर, 1984 की दरमियानी रात को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हुई थी। इस त्रासदी में जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनाइड के रिसाव से कम से कम 3787 लोगों की मौत हो गई थी और 12,000 से अधिक लोग घायल हुए थे। यह दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक है।

त्रासदी का कारण यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) की भोपाल इकाई में स्थित एक टैंक में रखी मिथाइल आइसोसाइनाइड गैस का रिसाव था। यह टैंक एक सुरक्षा उपकरण से लैस नहीं था, जिसकी वजह से गैस का रिसाव हुआ। गैस रिसाव से आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी। कई लोग गैस के संपर्क में आने से तुरंत मर गए, जबकि अन्य की मौत कुछ दिनों बाद हो गई।

त्रासदी के बाद, यूनियन कार्बाइड कंपनी ने भारत सरकार से मुआवजा देने से इनकार कर दिया। इसके बाद, भारत सरकार ने कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया। मुकदमे के बाद, कंपनी को 470 मिलियन डॉलर का मुआवजा देने के लिए मजबूर होना पड़ा।

हालांकि, मुआवजा मिलने के बावजूद, गैस पीड़ितों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है। आज भी कई गैस पीड़ित गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। उन्हें सांस लेने में तकलीफ, आंखों और त्वचा में जलन, सिरदर्द, उल्टी, और अन्य समस्याएं होती हैं।

भोपाल गैस त्रासदी एक राष्ट्रीय त्रासदी है। इस त्रासदी से हमें यह सबक मिलता है कि औद्योगिक सुरक्षा के मानकों का पालन करना कितना जरूरी है। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।

त्रासदी के 39 साल बाद भी गैस पीड़ितों की समस्याएं जस की तस

भोपाल गैस त्रासदी के 39 साल बाद भी गैस पीड़ितों की समस्याएं जस की तस हैं। उन्हें आज भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। उन्हें सांस लेने में तकलीफ, आंखों और त्वचा में जलन, सिरदर्द, उल्टी, और अन्य समस्याएं होती हैं।

गैस पीड़ितों का कहना है कि सरकार ने उन्हें मुआवजा तो दिया, लेकिन उनकी स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज नहीं किया गया। उन्हें आज भी सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए भटकना पड़ता है।

गैस पीड़ितों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें मुआवजे के साथ-साथ बेहतर इलाज की सुविधा भी प्रदान की जाए। उन्होंने यह भी मांग की है कि उन्हें रोजगार और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएं।

भोपाल गैस त्रासदी का संदेश
भोपाल गैस त्रासदी एक राष्ट्रीय त्रासदी है। इस त्रासदी से हमें यह सबक मिलता है कि औद्योगिक सुरक्षा के मानकों का पालन करना कितना जरूरी है। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।

इस त्रासदी के बाद, भारत सरकार ने कई कानून बनाए हैं जो औद्योगिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए हैं। इन कानूनों में उद्योगों में सुरक्षा मानकों का पालन करने के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं।

हालांकि, इन कानूनों के बावजूद, अभी भी कई उद्योगों में सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। इससे भविष्य में ऐसी त्रासदी की आशंका बनी रहती है।

इसलिए, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उद्योगों में सुरक्षा मानकों का पालन किया जाए। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी त्रासदी की संभावना को कम करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।



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