मप्र में वोटिंग कम्पार्टमेंट खरीदी का मामला
28 सितंबर 2020। चुनावों में राजनैतिक दलों के घोटालों की गूंज सुनाई देती हैं, मगर मध्यप्रदेश में तो चुनाव आयोग ने ही चुनाव उपकरणों में करोड़ों का घोटाला कर डाला।महालेखाकार की ताज़ातरीन रिपोर्ट ने इस हक़ीक़त को उजागर किया।
लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव कराने के लिये भारत चुनाव आयोग की मप्र में नियुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी यानि सीईओ द्वारा निर्वाचन के समय मत की गोपनीयता को बनाये रखने के लिये बैलेट यूनिटों को ढकने वाले वोटिंग कम्पार्टमेंट की खरीदी में 5 करोड़ 77 लाख रुपयों का घोटाला कर अनियमित व्यय किया गया। यह तथ्य महालेखापरीक्षक की ताजा रिपोर्ट में रेखांकित हुआ है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2017 में सीईओ द्वारा पीवीसी फोम से बने वोटिंग कम्पार्टमेंट खरीदे गये जबकि उसे भारत चुनाव आयोग के निर्देश अनुसार, केवल स्टील ग्रे रंग की कोरुगेटिड प्लास्टिक शीट वाले वोटिंग कम्पार्टमेंट खरीदने थे क्योंकि ये अपारदर्शी एवं पुन: उपयोग किये जाने योग्य होते हैं।
महालेखाकार ने 19 जिला निर्वाचन कार्यालयों यथा जबलपुर, खरगौन, शहडोल, उज्जैन, अनूपपुर, बालाघाट, भोपाल, दमोह, देवास, धार, इंदौर, झाबुआ, कटनी, नीमच, पन्ना, रीवा, सतना, शिवपुरी एवं टीकमगढ़ के आडिट में उक्त गड़बड़ी पाई। आडिट में यह भी पाया गया कि सीईओ ने वोटिंग कम्पार्टमेंट 1844 एवं 1753 रुपये प्रति नग में क्रय किये जबकि उप्र में इनकी दर 135 से 180 रुपये एवं राजस्थान में 222 रुपये थी। इससे 5 करोड़ 77 लाख रुपयों का अनियमित व्यय हुआ।
जवाब मांगे जाने पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने कहा कि पीवीसी फोमशीट से बने वोटिंग कम्पार्टमेंट भी कोरुगेटिड प्लास्टिक शीट वाले वोटिंग कम्पार्टमेंट जैसे ही हैं आर इसलिये खरीदी में कोई अनियमितता नहीं हुई है। लेकिन महालेखाकर ने उनके इस जवपाब को सही नहीं माना तथा कहा कि भारत चुनाव आयोग के निर्देश अनुसार कोरुगेटिड प्लास्टिक शीट वाले वोटिंग कम्पार्टमेंट ही खरीदे जाने चाहिये थे और पीवीसी वाले कम्पार्टमेंट मंहगे थे।
- डॉ. नवीन जोशी
चुनाव आयोग ने किया घोटाला, महालेखाकार ने पकड़ा
Place:
Bhopal 👤By: DD Views: 1361
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