6 जनवरी 2021। प्रदेश में नर्मदा नदी को छोडक़र अन्य नदियों में मशीनों से रेत के उत्खनन की मंजूरी मिल सकेगी। इस संबंध में राज्य शासन ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश जारी कर दिये हैं।
जिला कलेक्टरों से कहा गया है कि वे रेत खनन योजना का अनुमोदन करने के पूर्व मप्र रेत खनन, परिवहन, भण्डारण एवं व्यापार नियम 2019 के दो नियमों का विशेष रुप से ध्यान रखें क्योंकि इन दोनों नियमों के पालन पर ही सिया द्वारा रेत की खदान को पर्यावरण अनुमति दी जाती है।
इन दो नियमों का पालन करना होगा :
एक, नर्मदा नदी में स्वीकृत रेत खदानों से मशीनों द्वारा रेत खनन, लदान तथा भण्डारण पर पूर्णत: प्रतिबंध रहेगा। अन्य नदियों में स्थित 5 हैक्ैटेयर क्षेत्रफल तक की खदानों में से रेत खनन, लदान तथा भण्डारण स्थानीय श्रमिकों की समिति से कराया जायेगा तथा 5 हैक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाली खदानों में रेत खनन आदि के कार्यों में स्थानीय श्रमिकों को प्राथमिकता दी जायेगी। अन्य नदियों में रेत खनन के लिये मशीनों के उपयोग की अनुमति आवश्यक्ता तथा खनन योजना और पर्यावरण स्वीकृति में प्राप्त मंजूरी के आधार पर दी जा सकेगी।
दो, भारत सरकार द्वारा जारी सस्टेनेबल सैंड माइनिंग मैनेजमेंट गाइड लाईन्स 2016 के अनुसार आठ मामलों में रेत निकालना प्रतिबंधित रहेगा। यथा-एक, किसी पुल से 200 मीटर के भीतर। दो, किसी जलप्रदाय योजना या जल संसाधन योजना के 200 मीटर धारा के प्रतिकूल (अपस्ट्रीम) तथा डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों के भीतर। तीन, राष्ट्रीय राजमार्ग तथा रेल्वे लाईन के किनारों से 100 मीटर के भीतर। चार, किसी नहर, जलाशय या भवन से 50 मीटर। पांच, राजकीय राजमार्ग के किनारों से 50 मीटर तथा अन्य ग्रामीण सडक़ के किनारों से 10 मीटर के भीतर। छह, कोई भी क्षेत्र, जो कि बाढ़ नियंत्रण हेतु निर्मित किये गये हैं, से निर्धारित दूरी के भीतर। सात, सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक तथा पुरातात्विक महत्व के स्थल से 200 मीटर दूरी के भीतर। आठ, ऐसे क्षेत्र जो जिला कलेक्टर द्वारा पर्यावरणीय या अन्य कारणों से प्रतिबंधित घोषित किये गये हों।
हालांकि उक्त नियम में यह भी कहा गया है कि यदि ठेकेदार आवेदन करता है तो प्रतिबंधित क्षेत्र की सीमा के भीतर रेत खनन की अनुमति दिये जाने पर संबंधित प्रशासकीय विभाग से एनओसी प्राप्त होने पर विचार किया जा सकेगा।
प्रतिनियुक्ति अवधि में वृध्दि की सहमति दी
भोपाल।राज्य के जल संसाधन विभाग ने मुख्य तकनीकी परीक्षक सतर्कता संगठन भोपाल में पदस्थ जल संसाधन विभाग के अधीक्षण यंत्री एसआर उईके की प्रतिनियुक्ति अवधि में 15 जनवरी 2021 से आगामी दो वर्ष के लिये वृध्दि की सहमति दे दी है। उईके उक्त संगठन में मुख्य अभियंता के पद पर पदस्थ हैं तथा उनकी प्रतिनियुक्ति अवधि 14 जनवरी 2021 को समाप्त हो रही है। सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रतिनियुक्ति अवधि दो वर्ष बढ़ाने के लिये यह सहमति जल संसाधन विभाग से मांगी थी जो दे दी गई है।
- डॉ. नवीन जोशी
नर्मदा को छोड़ अन्य नदियों में मिलेगी मशीनों से रेत उत्खनन की मंजूरी
Place:
Bhopal 👤By: DD Views: 1710
Related News
Latest News
- मंत्रिपरिषद के अहम फैसले: नक्सल प्रभावित जिलों में 850 पद स्वीकृत, पचमढ़ी की नजूल भूमि अभयारण्य से अलग
- “हमें खुद नहीं पता था, हम क्या पढ़ा रहे थे” - CM मोहन यादव का कटाक्ष, डॉ. इंद्रेश कुमार बोले - “अखंड भारत का सपना देखिए, संस्कारमूलक शिक्षा की है जरूरत”
- भारत में दशकों बाद पहली बार नागरिक सुरक्षा अभ्यास का आदेश, कई राज्यों में मॉक ड्रिल
- रूस भारत के साथ, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पूर्ण समर्थन: पुतिन
- राजस्व रिकार्ड में जल संरचनाओं को संरक्षण के उद्देश्य से किया जा रहा है दर्ज
- प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को 20 प्रतिशत तक बढ़ाना लक्ष्य: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
Latest Posts
