
📍 प्रतिवाद डेस्क | टेक्नोलॉजी रिपोर्ट | 20 अप्रैल 2025
माइक्रोसॉफ्ट द्वारा हाल ही में लॉन्च किया गया एक अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल अब साइबर सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। 'CoPilot' नामक यह AI अब बिना किसी कोडिंग ज्ञान या तकनीकी एक्सेस के किसी भी कंप्यूटर को पूरी तरह से संचालित कर सकता है — वो भी एक इंसान की तरह, स्क्रीन के हर हिस्से को पढ़ते हुए, बटन क्लिक करते हुए और फॉर्म भरते हुए।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह AI टूल न केवल काम को आसान बनाता है, बल्कि यह मौजूदा साइबर सिक्योरिटी प्रोटोकॉल को भी अप्रासंगिक बना सकता है। इस टूल को बिल गेट्स के नेतृत्व वाली माइक्रोसॉफ्ट टीम ने विकसित किया है।
🤖 कैसे काम करता है ये खतरनाक AI?
स्क्रीन पढ़ता है, मेन्यू खोलता है, टेक्स्ट टाइप करता है, बटन क्लिक करता है — बिल्कुल इंसान की तरह।
बोलकर कमांड देने पर Excel शीट खोलकर डेटा भर सकता है।
स्क्रीन का कोई बटन अगर गायब हो गया तो खुद ढूंढ लेता है।
पासवर्ड, डॉक्युमेंट अपलोड, सबमिट बटन, फोटो एडिटिंग — सब कुछ खुद से कर सकता है।
सब कुछ बगैर API एक्सेस के यानी वह वेबसाइट से "बाहरी दरवाज़े" से नहीं, "मुख्य दरवाज़े" से घुसता है — ठीक वैसे जैसे कोई इंसान करता है।
🚨 तो खतरा क्या है? बिना API एक्सेस के काम: क्यों है यह खतरनाक?
साइबर एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह तकनीक इसलिए अधिक खतरनाक है क्योंकि यह पारंपरिक ऑटोमेशन टूल्स की तरह API (Application Programming Interface) एक्सेस का उपयोग नहीं करता। उदाहरण के तौर पर, किसी वेबसाइट का एक्सेस लेने के लिए पहले एपीआई की आवश्यकता होती थी, लेकिन अब CoPilot उस प्रक्रिया को बायपास कर सीधे वेबसाइट पर ही इंसान की तरह कार्य कर सकता है।
यह न केवल सरकारी पोर्टल्स जैसे आधार, शिक्षा, बैंकिंग या कोर्ट से जुड़ी साइट्स के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, बल्कि आम यूजर्स की डिजिटल सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बन सकता है।
विशेषज्ञों की चिंता: “Pandora’s Box खोल दिया गया है”
टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह AI टूल साइबर क्राइम को एक नई दिशा दे सकता है। इसकी क्षमताएं इतनी व्यापक हैं कि कोई भी सामान्य उपयोगकर्ता इसका प्रयोग कर संवेदनशील डेटा तक पहुंच बना सकता है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि इससे डिजिटल थ्रेट्स और फ्रॉड की घटनाएं कई गुना बढ़ सकती हैं।
प्रसिद्ध टेक कमेंटेटर गिरिजेश वशिष्ठ ने कहा:
“यह तकनीक जितनी आकर्षक है, उतनी ही खतरनाक भी। अब डिजिटल सुरक्षा को केवल पासवर्ड और OTP से नहीं बचाया जा सकता।”
क्या आ गया है डिजिटल संकट का दौर?
Microsoft CoPilot जैसी AI तकनीकें हमारे रोजमर्रा के कामों को जरूर आसान बना रही हैं, लेकिन यदि इनका दुरुपयोग हुआ, तो यह पूरी साइबर व्यवस्था को खतरे में डाल सकती हैं। विशेषज्ञ मांग कर रहे हैं कि सरकारें, तकनीकी कंपनियां और डिजिटल सेवा प्रदाता इसपर तत्काल गंभीरता से विचार करें।
क्या हमें एक बार फिर ताले-चाबी के युग की ओर लौटने की तैयारी करनी चाहिए?