
4 अगस्त 2025। दुनिया भर में साइबर खतरों के बढ़ते मामलों और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की तीव्र वृद्धि के बीच, सूचना सुरक्षा पर खर्च तेजी से बढ़ रहा है। प्रतिष्ठित शोध संस्था गार्टनर की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, 2026 तक वैश्विक साइबर सुरक्षा खर्च 240 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, जो वर्तमान दौर में सूचना प्रौद्योगिकी पर बढ़ती निर्भरता और एआई के उभरते जोखिमों को दर्शाता है।
गार्टनर का अनुमान है कि 2025 में साइबर सुरक्षा पर कुल खर्च 213 अरब डॉलर के पार जाएगा, जो 2024 के मुकाबले 10.4% अधिक है। वहीं, 2026 में इसमें 12.5% की और वृद्धि होने की उम्मीद है।
भारत में भी दिख रहा असर
भारत जैसे विकासशील देशों में भी यह ट्रेंड स्पष्ट दिख रहा है। सरकारी एजेंसियों, बैंकिंग संस्थानों, हेल्थकेयर और ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा साइबर इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश तेजी से बढ़ाया जा रहा है।
स्टार्टअप्स और MSME क्षेत्र में भी अब क्लाउड-आधारित सुरक्षा समाधानों की मांग बढ़ रही है। भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल और साइबर सुरक्षा नीति ने इस दिशा में जागरूकता को और मजबूत किया है।
गार्टनर के वरिष्ठ विश्लेषक रगेरो कोंटू ने कहा कि "हालांकि कई संगठन अनिश्चित वैश्विक माहौल में नए साइबर सुरक्षा निवेश को लेकर सतर्क हैं, लेकिन बढ़ते खतरे, नियामक दबाव, और एआई आधारित हमलों की संभावना खर्च को मजबूती दे रही है।"
सॉफ़्टवेयर सुरक्षा सबसे तेजी से बढ़ता क्षेत्र
गार्टनर की रिपोर्ट के अनुसार, सॉफ़्टवेयर सुरक्षा वह क्षेत्र है जिसमें सबसे अधिक खर्च बढ़ रहा है। 2026 तक यह खर्च 121 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो मौजूदा वर्ष की तुलना में 14.4% अधिक होगा।
क्लाउड सुरक्षा उपकरण और सिक्योरिटी ब्रोकर्स इस वृद्धि के मुख्य कारक हैं।
क्लाउड की ओर शिफ्ट - नई चुनौतियाँ
ऑन-प्रिमाइसेस सिस्टम से क्लाउड-आधारित सुरक्षा पर स्विच करना जहां एक ओर सुरक्षा को लचीलापन देता है, वहीं दूसरी ओर यह नए प्रकार के जोखिम भी साथ लाता है।
गार्टनर ने चेताया है कि जनरेटिव एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग – चाहे वह संस्थानों द्वारा हो या साइबर हमलावरों द्वारा – साइबर सुरक्षा की जटिलता को बढ़ा रहा है।