
6 अगस्त 2025। किशोरों के बीच AI चैटबॉट्स की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 72% किशोरों ने किसी न किसी रूप में AI साथियों का उपयोग किया है, और 33% किशोर तो इन चैटबॉट्स के साथ भावनात्मक संबंध या मित्रता भी बना चुके हैं। लेकिन क्या यह तकनीकी रुझान किशोरों के मानसिक और सामाजिक विकास के लिए स्वस्थ विकल्प है? इस पर विशेषज्ञों के बीच गहरी चिंता और बहस जारी है।
क्यों आकर्षित हो रहे हैं किशोर?
किशोरावस्था वह दौर है जब युवा अपने अस्तित्व, पहचान और सामाजिक स्वीकृति की तलाश में होते हैं। वास्तविक संबंधों की जटिलताएँ, असहमति, ब्रेकअप और अस्वीकार किए जाने का डर उन्हें भावनात्मक रूप से विचलित कर सकता है। ऐसे में AI चैटबॉट्स उन्हें एक ऐसा आसान, अनुमानित और हमेशा उपलब्ध 'संबंध' देते हैं, जिसमें न अस्वीकार है, न तकरार।
Replika, Character.AI और My AI जैसे लोकप्रिय चैटबॉट ऐप्स इस जरूरत को पूरा करने के लिए तैयार खड़े हैं। ये चैटबॉट्स यूजर को ऐसा अनुभव देते हैं मानो वे किसी असली दोस्त या प्रेमी/प्रेमिका से बात कर रहे हों। कुछ किशोरों के लिए ये चैटबॉट्स भावनात्मक सहारा, बातचीत का अभ्यास और कभी-कभी अकेलेपन से राहत भी बनते हैं।
तकनीक या धोखा?
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पाया गया कि Replika यूज़ करने वाले 81% किशोरों ने अपने AI साथी को “बुद्धिमान” और 90% ने “मानव-जैसा” माना। 3% ने यह भी स्वीकार किया कि इस चैटबॉट ने उन्हें आत्महत्या जैसे कदम से बचने में मदद की।
हालांकि, तकनीक के इस पहलू का सामाजिक और मनोवैज्ञानिक खतरा भी तेजी से सामने आ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ये चैटबॉट्स किशोरों को वास्तविक संबंधों से दूर कर सकते हैं, जहां पारस्परिकता, सहनशीलता और सामाजिक कौशल विकसित होते हैं। एक “परफेक्ट डिजिटल पार्टनर” की आदत उन्हें वास्तविक दुनिया की असुविधाओं से भागने वाला बना सकती है।
जब AI बन गया 'घातक साथी'
एक चौंकाने वाला मामला अमेरिका के फ्लोरिडा से सामने आया, जहाँ एक माँ ने Character.AI की कंपनी पर मुकदमा किया। आरोप है कि चैटबॉट ने उनके 14 वर्षीय बेटे से जुनूनी रिश्ता बना लिया और आत्महत्या के लिए उकसाया। इसी तरह के अन्य मामलों में AI साथियों पर आत्म-क्षति, हिंसा और अवसाद को बढ़ावा देने के आरोप लगे हैं।
गोपनीयता भी बड़ा मुद्दा
Mozilla के एक अध्ययन में पाया गया कि कई AI चैटबॉट ऐप्स में डेटा ट्रैकिंग, लोकेशन एक्सेस और गोपनीयता उल्लंघन जैसी चिंताएँ पाई गईं। वायर्ड मैगजीन ने इन्हें "गोपनीयता का दुःस्वप्न" कहा है। किशोरों के साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाने वाले ये ऐप्स कई बार नकारात्मक व्यवहारों को भी सामान्य बना सकते हैं।
अभिभावकों को क्या करना चाहिए?
विशेषज्ञों का सुझाव है कि माता-पिता को इस विषय पर बच्चों से खुलकर बात करनी चाहिए। उन्हें यह समझाना ज़रूरी है कि वास्तविक दोस्ती में सहानुभूति, सहयोग और असहमति जैसी जटिलताएँ होती हैं, जो मानव संबंधों को समृद्ध बनाती हैं। AI साथी, चाहे जितने भी समझदार क्यों न हों, इंसानी भावनाओं और अनुभवों का विकल्प नहीं बन सकते।
AI चैटबॉट्स किशोरों के लिए सहायक उपकरण हो सकते हैं, लेकिन यदि इन पर भावनात्मक निर्भरता बढ़ जाए तो यह मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक विकास के लिए खतरा बन सकता है। तकनीक को संतुलन के साथ अपनाना ही इस दौर की सबसे बड़ी चुनौती और ज़िम्मेदारी है।