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अगर हम साइबर सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लेते, तो AI हमें गंभीरता से हटाने के लिए तैयार है

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 119

9 मई 2025। आज के डिजिटल युग में, जब हमारी पूरी ज़िंदगी ऑनलाइन है, हम अभी भी “123456” जैसे बेहद कमजोर पासवर्ड का उपयोग कर रहे हैं। ताज़ा रिपोर्ट में 19 अरब से ज़्यादा पासवर्ड का विश्लेषण कर यह पुष्टि हुई है कि साइबर सुरक्षा को लेकर हमारी लापरवाही अब एक वैश्विक संकट बन चुकी है।

चौंकाने वाली बात यह है कि 94% पासवर्ड या तो दोहराए गए हैं या बेहद आसान पैटर्न पर आधारित हैं — जैसे कीबोर्ड पर लगातार टाइप किए गए नंबर, नाम, मूवी कैरेक्टर, या डिफ़ॉल्ट शब्द जैसे "password" और "admin"। इतना ही नहीं, करीब 42% पासवर्ड महज़ 8–10 अक्षरों के हैं, जिनमें से अधिकांश में केवल लोअरकेस अक्षर और अंक शामिल हैं, जिससे वे ब्रूट फोर्स हमलों के लिए बेहद आसान शिकार बन जाते हैं।

यह नासमझी केवल आम यूज़र्स तक सीमित नहीं है। एक रिपोर्ट में अमेरिका की इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड के वर्षों तक एक ही कमजोर पासवर्ड का इस्तेमाल करने का खुलासा हुआ, जो “श्रद्धा” जैसे व्यक्तिगत और धार्मिक महत्व वाले शब्द पर आधारित था। यह बताता है कि भावनाएँ अक्सर सुरक्षा से ज़्यादा हावी हो जाती हैं।

इसी बीच, अमेरिका में REAL ID का रोलआउट एक नई डिजिटल निगरानी व्यवस्था की शुरुआत जैसा दिखता है। बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली का यह विस्तार, कई साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, “एक सुपर सर्विलांस टूल” बन चुका है — जो हर हैकर के लिए आकर्षण का केंद्र भी है।

AI क्यों बेहतर विकल्प बन रहा है?
इन सबके बीच आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस लगातार यह साबित कर रहा है कि वह इंसानों की तुलना में ज़्यादा भरोसेमंद है।
AI पासवर्ड नहीं भूलता,
फ़िशिंग ईमेल पर क्लिक नहीं करता,
और अपना लॉगिन “टोनीस्टार्क123” नहीं रखता।

इसलिए कंपनियाँ तेजी से AI को ज़िम्मेदारियाँ सौंप रही हैं — सिर्फ़ सुरक्षा में नहीं, बल्कि कार्यस्थल के हर कोने में। Microsoft कहता है कि AI अब उसके कोड का 30% लिखता है, और Meta का लक्ष्य अगले साल तक इसे 50% तक बढ़ाना है।
Fiverr के CEO मीका कॉफ़मैन ने तो यहाँ तक कह दिया:
"AI आपकी नौकरियों के लिए आ रहा है — जो नहीं बदलेगा, वह बचेगा नहीं।"
CrowdStrike ने हाल ही में ऑटोमेशन के ज़रिए 500 कर्मचारियों की छंटनी की, जबकि Duolingo भी ठेकेदारों को हटाकर "AI-First" बनने की राह पर है।

संतुलन की ज़रूरत
बड़ी कंपनियाँ जैसे IBM, Microsoft और Google थोड़ी संतुलित रणनीति अपना रही हैं।
IBM ने HR की सैकड़ों भूमिकाओं में AI को लागू किया, पर साथ में नई नौकरियाँ भी बनाई हैं।
Microsoft का वादा है कि AI इंसानों को हटाएगा नहीं, बल्कि उन्हें सशक्त और सक्षम बनाएगा।
Google 1 लाख इलेक्ट्रीशियन को AI इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ट्रेनिंग दे रहा है।

इंसान बनाम मशीन नहीं, इंसान + मशीन
AI कोई खतरा नहीं है, बशर्ते हम खुद को अपडेट करें, अनुकूल बनें और जिम्मेदार डिजिटल व्यवहार अपनाएं।
अगर हम ऐसा नहीं करते, तो AI को हमें बदलने से कोई नहीं रोक सकता — और तब यह बदलाव विकास नहीं, चेतावनी होगा।

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