
6 सितंबर 2025। नेटफ्लिक्स की नई फिल्म इंस्पेक्टर ज़ेंडे असली जिंदगी की घटनाओं से प्रेरित है, जिसमें 70 और 80 के दशक का भारत दिखाया गया है। कहानी तिहाड़ जेल से फरार हुए कुख्यात अपराधी कार्ल भोजराज (जिम सर्भ) की तलाश और इंस्पेक्टर ज़ेंडे (मनोज बाजपेयी) के जुनूनी पीछा पर आधारित है। कार्ल भोजराज का किरदार चार्ल्स शोभराज से मिलता-जुलता एक काल्पनिक रूप है।
फिल्म की शुरुआत भोजराज की साहसी जेल ब्रेक से होती है। अपने जन्मदिन की खीर में नींद की गोलियां मिलाकर वह पुलिस को चकमा देता है और फरार हो जाता है। यही अपराधी कभी 15 साल पहले ज़ेंडे के हाथों पकड़ा गया था। इस बार भी उसे पकड़ने की जिम्मेदारी ज़ेंडे को दी जाती है, क्योंकि वही उसके तौर-तरीकों से सबसे ज्यादा वाकिफ है।
मनोज बाजपेयी और जिम सर्भ के बीच बिल्ला-चूहा वाला खेल फिल्म को लगातार रोमांचक बनाए रखता है। गंभीर अपराध-कहानी के बीच हल्के-फुल्के हास्य के पल आपको हँसाते हैं। वहीं, फिल्म पुलिस विभाग की राजनीति, दिल्ली और मुंबई पुलिस के बीच की खींचतान और आर्थिक तंगी के हालातों को भी मज़ेदार अंदाज़ में उजागर करती है।
ज़ेंडे की निजी जिंदगी की झलक भी कहानी में शामिल है, जहाँ उनकी पत्नी का साथ और दुआएँ उन्हें लगातार ताकत देती हैं।
मनोज बाजपेयी एक बार फिर अपने कमाल के अभिनय से दर्शकों को याद दिलाते हैं कि वे हर किरदार को जिंदा कर देते हैं। उनका ज़ेंडे कहीं-कहीं द फैमिली मैन के श्रीकांत तिवारी की झलक देता है। वहीं, जिम सर्भ अपनी खास एक्टिंग स्टाइल और अलग-अलग लहजों से भोजराज को बेहद प्रभावी बना देते हैं।
इंस्पेक्टर ज़ेंडे रोमांच और कॉमेडी का ऐसा मिश्रण है जिसे आप वीकेंड पर आराम से एंजॉय कर सकते हैं। यह फिल्म दर्शकों को एक तरफ हँसाती है तो दूसरी तरफ सीट से बांधे रखती है। मनोज बाजपेयी और जिम सर्भ की टक्कर इस कहानी को यादगार बना देती है।