नहीं लेना होगा इसके व्यापार हेतु वन विभाग से अनुमति
16 मार्च 2018। प्रदेश में साल बीज जिसे अंग्रेजी में शोरिया रोबुस्टा कहा जाता है, अब वनोपज नहीं रही तथा इसके परिवहन एवं व्यापार हेतु अदिवासियों को वन विभाग से अनुमति नहीं लेना होगी।
उल्लेखनीय है कि 49 साल पहले राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की अनुमति से मप्र वन उपज व्यापार विनियमन अधिनियम 1969 राज्य में प्रभावशील किया था। यह कानून वनोपजों को अधिसूचित कर उसके व्यापार में राज्य सरकार का एकाधिकार बनाने एवं परिवहन को नियंत्रित करना था। साल बीज को सर्वप्रथम 1 सितम्बर 1970 को सीधी, शहडोल, होशंगाबाद, बैतूल जिलों में, 14 सितम्बर 1972 को सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर व टीकमगढ़ जिलों में, 1 जुलाई 1973 को रायसेन, भोपाल, सीहोर, शाजापुर, राजगढ़, विदिशा, सिवनी तथा छिन्छवाड़ा जिलों में तथा 9 दिसम्बर 1975 को बालाघाट, मंडला और जबलपुर जिलों में उक्त कानून के तहत अधिसूचित वनोपज घोषित किया गया था।
साल बीज का उपयोग उसका तेल निकालकर विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। पड़ौसी छत्तीसगढ़ राज्य में इसकी खरीदी भी होती है। मप्र सरकार ने तीन साल पहले 25 अक्टूबर 2016 को एक आदेश जारी कर इसे अधिसूचित वनोपज की सूची से बाहर कर दिया था परन्तु यह कार्यवाही नियमानुसार नहीं थी क्योंकि इसे उक्त कानून के तहत ही डिनोटिफाई किया जा सकता था। इसीलिये अब राज्य सरकार ने उक्त कानून की धारा 22 का उपयोग कर इसे डिनोटिफाई किया है।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि साल बीज पहले अधिसूचित वनोपज थी जिसे अब विधिवत डिनोटिफाई किया गया है। अब इसका व्यापार मुक्त रहेगा तथा वन विभाग से इसके लिये कोई अनुमति नहीं लेना होगी।
- डॉ नवीन जोशी
साल बीज अब वनोपज नहीं रही
Place:
Bhopal 👤By: Admin Views: 1840
Related News
Latest News
- छत्तीसगढ़ मंत्रिपरिषद के अहम फैसले: ग्रामीण बस सेवा योजना शुरू, तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा और शिक्षकों का पुनः समायोजन
- यूसीमास स्टेट लेवल कॉम्पिटीशन में कृष्णा, विवान और, याशिका खापरे विजेता
- ‘चंपक’ नाम को लेकर BCCI पर केस, दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रेडमार्क याचिका
- भोपाल: पीएचक्यू बना ई-ऑफिस, अब जिलों की बारी
- कश्मीर हमले पर मोदी सरकार की सख्ती: सेना को मिली "पूर्ण ऑपरेशनल आज़ादी", पाकिस्तान पर फिर उठा सवाल
- "2017 से पहले सरकारें माफिया के सामने झुक चुकी थीं": सीएम योगी का बड़ा बयान
Latest Posts
