
9 जुलाई 2025। भारतीय लोकतंत्र में नेतृत्व के साथ अब शिक्षा भी एक महत्वपूर्ण गुण के रूप में उभर रही है। जहां पहले अनुभव और जनाधार को प्रमुखता दी जाती थी, वहीं अब शैक्षणिक योग्यता भी मुख्यमंत्रियों के प्रोफाइल में एक मजबूत स्तंभ बन चुकी है। वर्ष 2025 में भारत के कई मुख्यमंत्रियों की शैक्षणिक पृष्ठभूमि दर्शाती है कि शिक्षा के बल पर नेतृत्व और बेहतर हो सकता है।
इस सूची में सबसे ऊपर हैं डॉ. मोहन यादव (मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश), जिनके पास B.Sc., LL.B., MBA, M.A. और Ph.D. सहित पाँच उच्च डिग्रियाँ हैं। विविध क्षेत्रों में उनकी शिक्षा उन्हें प्रशासनिक दृष्टि से गहराई देती है।
दूसरे स्थान पर हैं हिमंत बिस्वा शर्मा (मुख्यमंत्री, असम), जिन्होंने राजनीति, कानून और पीएच.डी. में शिक्षा प्राप्त की है। उनका प्रशासनिक कौशल और शिक्षावादी सोच असम के नीतिगत निर्णयों में झलकती है।
तीसरे नंबर पर हैं कॉनराड संगमा (मुख्यमंत्री, मेघालय), जिनके पास अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से BBA और MBA की डिग्रियाँ हैं। उनका नेतृत्व आधुनिक सोच और वैश्विक दृष्टिकोण से परिपूर्ण है।
पुष्कर सिंह धामी (मुख्यमंत्री, उत्तराखंड) चौथे स्थान पर आते हैं, जिन्होंने कानून और मानव संसाधन प्रबंधन में डिग्रियाँ ली हैं, जो उन्हें सामाजिक और युवाओं से जुड़ी नीतियों में दक्ष बनाती हैं।
पांचवें नंबर पर हैं देवेंद्र फडणवीस (मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र), जिन्होंने कानून, बिजनेस मैनेजमेंट और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में पढ़ाई की है। वे प्रशासनिक दक्षता के साथ योजनाबद्ध तरीके से शासन चलाने में सक्षम हैं।
इन मुख्यमंत्रियों की शैक्षणिक उपलब्धियां यह दर्शाती हैं कि भारत में अब पढ़ा-लिखा नेतृत्व ही विकास की नई राह तैयार कर रहा है।