
अमेरिका में ‘FIR बिजनेस मॉडल’! भारतीय मूल का कारोबारी चंद्रकांत पटेल बना फर्जी अपराधों का मास्टरमाइंड
▶ बिना अपराध हुए दर्ज होती रहीं FIR, भारत से अमेरिका भेजे गए लोग, पुलिसवालों को मिलती थी मोटी रिश्वत
प्रतिवाद.कॉम डेस्क | डिजिटल इन्वेस्टिगेशन | अमेरिका/इंडिया
एक रिपोर्ट जो सिस्टम की सबसे बड़ी गिरावट को उजागर करती है...
18 जुलाई 2025। अमेरिका के लुसियाना राज्य से एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जो न सिर्फ अमेरिकी कानून व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि भारतीय प्रवासियों के सपनों को बेचने वाले एक संगठित खेल का पर्दाफाश भी करता है।
मुख्य आरोपी—चंद्रकांत लाला पटेल, जो मूल रूप से भारतीय है, लुसियाना में कारोबारी है, लेकिन उसका असली धंधा था "FIR बेचने का"। जी हां, आपने सही पढ़ा।
कैसे चलता था ‘FIR का व्यापार’?
पिछले 10 सालों से पटेल अपने शहर के चार पुलिस अधिकारियों को रिश्वत देकर फर्जी एफ.आई.आर. दर्ज करवाता रहा। इन FIRs में अपराध कभी होते ही नहीं थे, लेकिन उसमें विक्टिम के तौर पर किसी भारतीय का नाम डलवाया जाता। इन एफआईआर में लिखा जाता कि व्यक्ति अमेरिका में किसी अपराध का शिकार हुआ है।
इसके बाद पटेल वही FIR भारत में उन लोगों को बेचता जो अमेरिका आने का सपना देख रहे होते। बदले में हर FIR के लिए पांच से सात हजार डॉलर वसूले जाते।
‘यू वीजा’ के नाम पर अमेरिका में इंट्री
अमेरिकी कानून के अनुसार, जो व्यक्ति किसी अपराध का शिकार होता है, उसे U-Visa दिया जाता है। और अगर वो केस लंबा चलता है, तो ग्रीन कार्ड और नागरिकता तक की राह खुल जाती है।
पटेल ने इसी loophole को 'धंधा' बना लिया।
ईमानदार अफसर ने किया भंडाफोड़
ये पूरा खेल तब उजागर हुआ जब पटेल ने एक ईमानदार पुलिस चीफ को रिश्वत देने की कोशिश की और वो अफसर झुकने के बजाय पूरा मामला एफ.बी.आई. को सौंप बैठा।
पटेल के साथ कौन-कौन?
जांच में सामने आया है कि इस सिंडिकेट में सिर्फ पुलिस अफसर ही नहीं, उनकी पत्नियाँ भी शामिल थीं। अब तक की रिपोर्ट्स के मुताबिक:
पटेल मुख्य आरोपी है
4 पुलिस अधिकारी सस्पेंड
इनकी पत्नियाँ भी जांच के घेरे में
कई ऐसे प्रवासी नागरिक, जो इस खेल से अमेरिका पहुंचे, अब जांच के दायरे में
FIR में कोई क्राइम ही नहीं!
जांच एजेंसियों को ऐसे दर्जनों मामले मिले हैं जिनमें किसी तरह का अपराध हुआ ही नहीं था, लेकिन FIR में ‘अपराध’ और ‘विक्टिम’ लिखकर भारत से लोगों को बुलाया गया।
डिजिटल इंडिया के दौर में ‘डिजिटल प्रवास ठगी’?
इस केस ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
भारत में बैठे लोग ऐसे झूठे दस्तावेजों के सहारे अमेरिका कैसे पहुँच गए?
क्या भारत में भी ऐसे सिंडिकेट सक्रिय हैं?
क्या अमेरिका की इमिग्रेशन प्रणाली इतनी आसान है कि एक FIR पर नागरिकता मिल जाए?
प्रवासी सपनों का सौदागर या साइबर ठग?
FIR को 'वीज़ा टिकट' बना देना... ये कहानी किसी वेब सीरीज़ से कम नहीं लगती, लेकिन हकीकत है। पटेल का ये मॉडल कई युवाओं के लिए 'शॉर्टकट अमेरिका' का रास्ता बन गया, जो अब एक बड़े धोखाधड़ी मामले में बदल चुका है।