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मध्य प्रदेश में 5 साल में बच्चों के खिलाफ साइबर क्राइम में कई गुना बढ़ोतरी

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 3237

बच्चों मे इंटरनेट का बढता उपयोग, साइबर अपराध के प्रति जागरूकता मे वृद्धि प्रमुख कारण
प्रदेश मे किए गए क्राई के अध्ययन मे 99% माता-पिता ने यह माना कि उन्हे नहीं पता उनके बच्चे इंटरनेट पर क्या देखते हैं

5 फरवरी 2024। मध्य प्रदेश बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध के मामलों मे देश मे तीसरे स्थान पर है। इनमें से 90% से अधिक मामले साइबर पोर्नोग्राफी/बच्चों को चित्रित करने वाली अश्लील यौन सामग्री होस्ट करने या प्रकाशित करने के हैं। यह खुलासा चाइल्ड राइट्स एंड यू ? क्राई द्वारा की गई नवीनतम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) रिपोर्ट के विश्लेषण में हुआ। मप्र में बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध के रुझान को समझने के उद्देश्य से मनाए जाने वाले सुरक्षित इंटरनेट दिवस के मद्देनजर यह विश्लेषण जारी किया गया था। इस वर्ष यह दिवस 6 फ़रवरी को मनाया जा रहा है।

विश्लेषण के अनुसार 2022 मे देश भर मे साइबर अपराध का शिकार हुए बच्चों के दर्ज किए गए कुल 1360 मामलों में से 147 मामले मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए। यह आंकड़ा कर्नाटक (239) और राजस्थान (161) के बाद बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध का तीसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है।

"महज पांच साल की अवधि के भीतर, राज्य में बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध का परिदृश्य काफी बदल गया है। यहां मामलों की संख्या में 4800% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एनसीआरबी के विश्लेषण के अनुसार वर्ष 2018 में एमपी में बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध के केवल 3 मामले दर्ज किए गए थे; और 2022 में यह संख्या बढ़कर 147 हो गई। इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि कोविड ​​महामारी ने बच्चों को विभिन्न ऑनलाइन शिक्षा और अन्य मनोरंजन प्लेटफार्मो के बहुत ज्यादा संपर्क में ला दिया है जो वास्तव में कई स्तरों पर बच्चों के लिए जोखिम को बढ़ाता है। इस तथ्य कि पुष्टि यह वर्तमान एनसीआरबी के आँकड़े भी कर रहे हैं। हालांकि इन बढ़ते आंकड़ों का एक सकारात्मक पहलू यह भी है कि अब अभिभावक इन अपराधों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए आगे आरहे हैं। यह सरकार एवं नागरिक समाज संगठनों द्वारा लोगों मे साइबर अपराधों के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का नतीजा है", सोहा मोइत्रा, क्षेत्रीय निदेशक, क्राई ने कहा।

वर्ष
2022
2021
2020
2019
2018
दर्ज प्रकरण
147
36
24
9
3
Table: 1.1 Source ?NCRB

साइबर पोर्नोग्राफी, बच्चों को चित्रित करने वाली अश्लील यौन सामग्री की मेजबानी या प्रकाशन के मामले सबसे अधिक
एनसीआरबी रिपोर्ट के विश्लेषण के अनुसार बच्चों के खिलाफ किए गए पंजीकृत साइबर अपराधों के 93 प्रतिशत यानि 137 मामलों में बच्चों को स्पष्ट यौन कृत्य में चित्रित करने वाली सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण शामिल था। वर्ष 2022 में बच्चों के खिलाफ दर्ज किए गए 147 मामलों में से, कुल 137 मामले यौन कृत्य में बच्चों को चित्रित करने वाली सामग्री का प्रकाशन या संचारण को लेकर दर्ज किए गए थे।

"जनता के बीच इंटरनेट का उपयोग पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। जहां यह वृद्धि लोगों के लिए अवसरों के बड़े रास्ते खोलती है, वहीं बच्चों का साइबर पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराध का शिकार बनना बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा पर गंभीर चिंता पैदा करता है," मोइत्रा ने कहा।

क्राई अध्ययन: उत्तर देने वाले 99 प्रतिशत माता-पिता इस बात से अनभिज्ञ हैं कि उनके बच्चे इंटरनेट पर क्या देख रहे हैं

कोविड काल के दौरान ऑनलाइन खतरों की प्रकृति और सीमा को समझने के लिए क्राई और चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, पटना द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक अध्ययन से पता चला कि अध्ययन में भाग लेने वाले मध्य प्रदेश के 78 प्रतिशत शिक्षकों ने कथित तौर पर बच्चों के व्यवहार में शोषण और दुर्व्यवहार किये जाने की संभावना को दर्शाने वाला बदलाव देखा है।

वर्ष 2023 में जारी 'पॉक्सो एंड बियॉन्ड: अंडरस्टैंडिंग ऑन ऑनलाइन सेफ्टी थ्रू कोविड' नाम के अध्ययन से यह भी पता चला अध्ययन मे शामिल माता-पिता में से, 99 प्रतिशत ने यह माना कि वे अपने बच्चों द्वारा देखे जाने वाले ऑनलाइन कंटेन्ट से अनवगत थे। उनके बच्चे द्वारा देखे जा रहे वास्तविक कॉन्टेन्ट के विवरण से अनजान, 53% माता-पिता ने जवाब दिया कि लड़के संगीत सुनने/वीडियो देखने में शामिल होते हैं, 48% ऑनलाइन गेम और 57% माता-पिता ने जवाब दिया कि लड़के पढ़ाई से जुड़े कॉन्टेन्ट देखते होंगे। वहीं लड़कियों के मामलों मे यह प्रतिशत 83%, 87% एवं 82% था।

क्राई अध्ययन: 98% माता-पिता उनके बच्चे के साथ ऑनलाइन बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार होने पर शिकायत दर्ज करना नहीं चाहते

अध्ययन के दौरान केवल 98 प्रतिशत माता-पिता ने कहा की यदि उनके बच्चों के साथ ऑनलाइन बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार होता है तो वे पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज नहीं करेंगे, जबकि केवल 2% प्रतिशत ने इस विकल्प को अपनाने की बात कही। इसके अलावा, किसी भी माता-पिता ने ऑनलाइन बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार से संबंधित किसी भी कानून के बारे में जानकारी न होने की सूचना दी।

इस प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए सोहा ने कहा, "यह देखना चिंताजनक है कि माता-पिता अपने बच्चों के साथ होने वाले ऑनलाइन यौन शोषण और दुर्व्यवहार रिपोर्ट करने पर विचार नहीं कर रहे हैं। इस तरह के निष्कर्ष माता-पिता के बीच कानूनी और कानून प्रवर्तन संस्थानों के साथ एक बड़ी सूचना की कमी और कम विश्वास का संकेत देते हैं।

हालाँकि बच्चों को ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से दूर रखना निश्चित रूप से एक विकल्प नहीं है, लेकिन अपराधियों पर नज़र रखने और युवा पीढ़ी के लिए इन जगह को सुरक्षित बनाने के लिए और अधिक कड़े तंत्र की आवश्यकता है।
इंटरनेट तक आसान पहुंच और सोशल मीडिया के अनियंत्रित उपयोग ने माता-पिता की कम या बिना निगरानी वाले बच्चों के लिए ऑनलाइन जोखिम बढ़ा दिया है, जिससे ऑनलाइन अपराधियों के लिए बच्चों की पहचान करना, उनके विवरण तक पहुंच प्राप्त करना और उन्हे लुभाने के लिए उनसे जुड़ना आसान हो गया है।

सोहा ने बताया कि "पिछले 6 महीनों में, क्राई अपने साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम 'साइबर स्मार्ट हीरोज' के माध्यम से देश भर में 50000 से अधिक बच्चों तक पहुँचा है। इस कार्यक्रम में एमपी के 400 से ज्यादा बच्चे भी शामिल हुए। सत्र के दौरान बच्चों द्वारा साझा किए गए उनके अनुभवों से पता चलता है कि ऑनलाइन सुरक्षा बच्चों और युवाओं के संरक्षण को देखते हुए एक बेहद महत्वपूर्ण पहलू बनकर उभरा है"।

उन्होंने कहा "क्राई मानता है कि इंटरनेट बच्चों की भागीदारी और अभिव्यक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम है, यह माता-पिता, समुदायों, राज्य और समाज का बड़े पैमाने पर कर्तव्य है कि वे यह सुनिश्चित करें कि बच्चे ऑनलाइन लत और खतरों से खुद को बचाने के लिए सुरक्षित और सशक्त हों"।



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