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AI का आतंकवाद में संभावित दुरुपयोग: विशेषज्ञों की गंभीर चेतावनी

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Location: भोपाल                                                 👤Posted By: prativad                                                                         Views: 1857

भोपाल: 4 सितंबर 2024। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की प्रगति ने जहां अनेक क्षेत्रों में क्रांति लाई है, वहीं इसके आतंकवादी समूहों द्वारा संभावित दुरुपयोग को लेकर विशेषज्ञों की चिंता भी बढ़ गई है। हाल ही में प्रकाशित एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि AI का उपयोग विस्फोटक पहुंचाने के नए और अधिक खतरनाक तरीके विकसित करने, ऑनलाइन भर्ती अभियानों को सशक्त बनाने और घृणा भाषण को फैलाने के लिए किया जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र अंतरक्षेत्रीय अपराध और न्याय अनुसंधान संस्थान (UNICRI) की निदेशक एंटोनिया मैरी डी मेओ ने गलत हाथों में AI के खतरों पर जोर देते हुए कहा, "AI एक अत्यंत शक्तिशाली उपकरण है, और इसका उपयोग आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद को और अधिक बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है।" उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसके संभावित खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और इसे नियंत्रित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

रिपोर्ट, जिसका शीर्षक "एल्गोरिदम और आतंकवाद: आतंकवादी उद्देश्यों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दुर्भावनापूर्ण उपयोग" है, में विभिन्न खतरों पर प्रकाश डाला गया है। इनमें सेल्फ-ड्राइविंग कार बमों का विकास, साइबर हमलों की तीव्रता और घृणा भाषण के व्यापक प्रसार की क्षमता शामिल है। शोधकर्ताओं ने चेताया कि AI का दुरुपयोग कर आतंकवादी न केवल भौतिक हमलों को अंजाम दे सकते हैं, बल्कि डिजिटल माध्यमों से भी समाज में अराजकता फैला सकते हैं।

विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को AI के इन खतरों का मुकाबला करने के लिए तत्काल रणनीतियाँ विकसित करनी चाहिए। डी मेओ ने कहा, "हमारी आकांक्षा है कि यह रिपोर्ट आतंकवादी उद्देश्यों के लिए AI के दुर्भावनापूर्ण उपयोग पर एक गंभीर और आवश्यक बातचीत की शुरुआत हो।"

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि आतंकवादी समूह पहले से ही AI उपकरणों का उपयोग अपने अभियानों में कर रहे हैं। नाटो के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन डिफेंस अगेंस्ट टेररिज्म (COE-DAT) और यूएस आर्मी वार कॉलेज स्ट्रैटेजिक स्टडीज इंस्टीट्यूट के एक अध्ययन ने भी इस प्रवृत्ति की पुष्टि की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजी से विकसित हो रही तकनीकों के युग में वास्तविकता और कल्पना के बीच की रेखा धुंधली हो रही है, जिससे नैतिक ढांचे और नियमों की आवश्यकता और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

AI के संभावित दुरुपयोग के उदाहरणों में OpenAI के ChatGPT जैसे प्लेटफार्मों का उपयोग करके फ़िशिंग ईमेल को और अधिक प्रभावी बनाना, दुष्प्रचार फैलाना, और उग्रवादी प्रचार सामग्री तैयार करना शामिल है। इसके अलावा, आतंकवादी समूह AI की मदद से डीपफेक वीडियो या चैटबॉट विकसित कर सकते हैं, जिनका उपयोग संवेदनशील जानकारी प्राप्त करने या हमलों की योजना बनाने के लिए किया जा सकता है।

यह रिपोर्ट एक गंभीर चेतावनी के रूप में सामने आई है कि यदि AI को नियंत्रित नहीं किया गया तो इसके परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं। विशेषज्ञों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस खतरे का मुकाबला करने के लिए एकजुट होने और आवश्यक कदम उठाने का आह्वान किया है।

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