10 नवंबर 2025। सिलिकॉन वैली के बड़े नाम सैम ऑल्टमैन और ब्रायन आर्मस्ट्रांग के समर्थन वाला एक अमेरिकी बायोटेक स्टार्टअप कथित तौर पर ऐसे शिशु पैदा करने की तैयारी में है जिनमें जन्म से पहले आनुवंशिक बीमारियाँ खत्म कर दी जाएँ और संभव हो तो बुद्धि-क्षमता भी बढ़ाई जाए। यह रिपोर्ट वॉल स्ट्रीट जर्नल ने प्रकाशित की है, जिसने पूरी वैज्ञानिक और नैतिक दुनिया में बहस छेड़ दी है।
सैन फ्रांसिस्को आधारित कंपनी प्रिवेंटिव की स्थापना जीन-एडिटिंग विशेषज्ञ लुकास हैरिंगटन ने इस साल की शुरुआत में की थी। कंपनी का लक्ष्य मानव भ्रूण को एडिट करके आनुवंशिक रोगों को मिटाना बताया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ऐसे देशों की तलाश में है जहाँ भ्रूण जीन संपादन पर कानूनी प्रतिबंध नहीं है, ताकि वह अपना प्रयोग वहीं कर सके।
महत्वपूर्ण बात यह है कि अमेरिका सहित कई देशों में भ्रूण में जीन एडिटिंग कर बच्चे पैदा करने का प्रयास प्रतिबंधित है, जबकि कुछ बीमारियों के इलाज के लिए जन्म के बाद जीन एडिटिंग की अनुमति है।
डब्ल्यूएसजे के मुताबिक, प्रिवेंटिव ने अब तक 30 मिलियन डॉलर फंडिंग जुटा ली है और पिछले छह महीने यह परियोजना गुप्त रखी गई थी। कहा जा रहा है कि कॉइनबेस के सह-संस्थापक आर्मस्ट्रांग ने कभी अपने सहयोगियों से ये तक कहा था कि एक दिन दुनिया के सामने एक पूरी तरह ‘स्वस्थ इंजीनियर बेबी’ पेश करके इस तकनीक को स्वीकार्यता दिलाई जा सकती है।
इस पूरी कहानी ने जेनेटिक इंजीनियरिंग को लेकर पुराने डर और नई महत्वाकांक्षाओं दोनों को हवा दी है। आलोचक कह रहे हैं कि यह रास्ता सुजननिकी की ओर ले जा सकता है, यानी इंसानों को डिजाइन करने और ‘बेहतर’ बनाने की खतरनाक सोच। यूसी बर्कले के जेनेटिक्स विशेषज्ञ फ्योडोर उर्नोव ने इसे “शिशु सुधार अभियान” जैसा करार दिया और चेतावनी दी कि पैसा और महत्वाकांक्षा मिलकर बहुत जोखिम भरी दिशा में जा रहे हैं।
सीधा सवाल
अगर विज्ञान यह तकनीक दे भी दे, तो क्या समाज इसके जिम्मेदारी-भरे इस्तेमाल की क्षमता रखता है? या फिर हम ‘डिज़ाइनर बेबी’ की दुनिया में फिसल रहे हैं जहाँ जन्म भी एक प्रोजेक्ट बन जाएगा?
कहानी अभी शुरू हुई है। आगे का अध्याय विज्ञान, कानून और नैतिकता तीनों लिखेंगे।














