23 नवंबर 2025। स्पेस में सोलर एनर्जी इकट्ठा कर धरती या कक्षा में मौजूद दूसरे सैटेलाइट को बिजली भेजने का सपना अब थोड़ा और हकीकत के करीब दिख रहा है। फ्लोरिडा स्थित NASA के केनेडी स्पेस सेंटर में हुए एक टेस्ट में स्टार कैचर इंडस्ट्रीज़ ने लंबी दूरी पर 1.1 kW पावर वायरलेस तरीके से भेजकर नया रिकॉर्ड बना दिया।
यह आंकड़ा DARPA के 2025 में बनाए गए 800 वॉट के पुराने रिकॉर्ड को पीछे छोड़ता है।
स्पेस में सोलर पावर क्यों गेमचेंजर है
स्पेस में मौजूद सोलर पावर का विचार नया नहीं है। 1968 में एयरोस्पेस इंजीनियर पीटर ग्लेसर ने पहली बार माइक्रोवेव बीम के जरिए स्पेस से धरती तक बिजली भेजने का विचार दिया था।
अंतर यह है कि उस दौर में यह साइंस-फिक्शन जैसा लगता था, जबकि आज यह टेक्नोलॉजी डेमो स्टेज तक पहुँच चुकी है।
धरती पर लगे सोलर फार्म के मुकाबले, स्पेस में:
सूरज की रोशनी 24/7 मिलती है
बादल या मौसम की रुकावट नहीं
सैटेलाइट्स को लगातार सन-फेसिंग ऑर्बिट में रखा जा सकता है
यही कारण है कि चीन, अमेरिका और यूरोप कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। ऊर्जा सुरक्षा और क्लीन पावर की दौड़ में यह कॉन्सेप्ट तेजी से आगे बढ़ रहा है।
स्टार कैचर की टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है
DARPA माइक्रोवेव का उपयोग करता है, लेकिन स्टार कैचर का तरीका थोड़ा अलग है।
कंपनी सोलर पैनलों के एक ग्रिड का उपयोग कर:
हाई-पावर्ड ऑप्टिकल लेज़र बनाती है
उसे एक बहुत कंसन्ट्रेटेड बीम में बदलती है
फिर उस बीम को दूर स्थित एक दूसरे सोलर ऐरे तक भेजती है
रिसीवर ऐरे उस लेज़र लाइट को वापस बिजली में बदल देता है
सरल शब्दों में, यह "सोलर लाइट को पकड़कर, पैक कर, और लंबी दूरी तक भेजने" जैसा सिस्टम है।
अगला लक्ष्य: कक्षा में “सुपरचार्ज” होने वाले सैटेलाइट
कंपनी पहले इस टेक्नोलॉजी को स्पेस में मौजूद दूसरे सैटेलाइट्स को पावर देने के लिए इस्तेमाल करना चाहती है।
इससे:
पुराने सैटेलाइट बिना हार्डवेयर बदले कई गुना ज्यादा पावर ले सकेंगे
ऑर्बिटल डेटा सेंटर और स्पेस मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगातार चल सकेंगी
कक्षा में एक “रेसिलिएंट पावर ग्रिड” जैसा नेटवर्क बन सकता है
कंपनी का दावा है कि इसका नेटवर्क सैटेलाइट्स को 2 से 10 गुना अधिक पावर दे सकता है—वह भी “ऑन-डिमांड”।
टेस्ट अभी जमीन पर, उड़ान अगले साल
स्टार कैचर ने इस बार अलग-अलग सोलर पैनल डिज़ाइन का उपयोग कर जमीन पर टेस्ट किया।
लेकिन असली परीक्षा अगले साल होगी, जब कंपनी अंतरिक्ष में पहला ऑन-ऑर्बिट डेमो भेजने की योजना बना रही है।
कंपनी के CEO एंड्रयू रश ने कहा,
“ये नतीजे बताते हैं कि स्पेस-बेस्ड सोलर पावर अब सिर्फ आइडिया नहीं, बल्कि ऑपरेशन की ओर बढ़ रही टेक्नोलॉजी है।”
स्पेस में फैला हुआ ‘ऊर्जा ग्रिड’ — भविष्य की तस्वीर?
अगर यह टेक्नोलॉजी कामयाब होती है, तो:
सैटेलाइट्स फ्यूल पर निर्भर नहीं रहेंगे
स्पेस मिशन लंबे और ज्यादा प्रभावी होंगे
धरती पर भी सीमित जगह और मौसम-निर्भर सोलर फार्म पर बोझ घट सकता है
यानी यह सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि एनर्जी सेक्टर के लिए आने वाले बदलावों की शुरुआती चेतावनी जैसा है।














