23 नवंबर 2025। वैज्ञानिकों ने इंसानी शरीर की सबसे जटिल जगहों में से एक — बोन मैरो — का ऐसा छोटा वर्जन बना लिया है जो बिल्कुल असली की तरह खून बना सकता है। यह मॉडल हफ्तों तक ब्लड सेल्स प्रोड्यूस करता है और इसमें वही सारे सेल्स, सिग्नल और माइक्रो-एनवायरनमेंट शामिल हैं जो हमारी हड्डियों के अंदर मौजूद होते हैं।
यह सफलता ब्लड कैंसर रिसर्च, दवाओं की टेस्टिंग और आने वाले समय में पर्सनलाइज़्ड ट्रीटमेंट तक का खेल बदल सकती है।
मानव कोशिकाओं से बनी पहली फंक्शनल बोन मैरो लैब में तैयार
हमारी हड्डियों के भीतर मौजूद “ब्लड फैक्ट्री” कई तरह के सेल्स, नर्व्स, ब्लड वेसल्स और सपोर्टिंग टिशू से मिलकर बनती है। इसे एक साथ दोहराना अब तक लगभग असंभव माना जाता था।
यूनिवर्सिटी ऑफ बेसल और यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल बेसल के शोधकर्ताओं ने पहली बार पूरी तरह इंसानी कोशिकाओं का इस्तेमाल करके एक फंक्शनल 3D बोन मैरो सिस्टम तैयार किया है।
टीम का नेतृत्व प्रोफेसर इवान मार्टिन और डॉ. एंड्रेस गार्सिया गार्सिया ने किया और उनका अध्ययन सेल स्टेम सेल जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
कैसे बनाई गई यह “मिनी मैरो”
वैज्ञानिकों ने शुरुआत की हाइड्रॉक्सीएपेटाइट से — एक मिनरल जो हमारी हड्डियों और दांतों में पाया जाता है।
इसे एक आर्टिफिशियल बोन फ्रेमवर्क के रूप में इस्तेमाल किया गया।
फिर स्टेम सेल्स को इस फ्रेमवर्क में डाला गया। ये वही सेल्स हैं जिन्हें रीप्रोग्राम करके प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल्स बनाया गया — यानी ये आगे चलकर शरीर के कई तरह के सेल्स बन सकते हैं।
धीरे-धीरे, कंट्रोल्ड डेवलपमेंटल स्टेप्स के ज़रिए ये सेल्स उसी तरह व्यवस्थित हुए जैसे असली मानव बोन मैरो में होते हैं।
तैयार हुआ 3D मॉडल पिछली किसी भी कोशिश से बड़ा और ज्यादा वास्तविक है — करीब 8 मिमी चौड़ा और 4 मिमी मोटा।
शोध दल हफ्तों तक इस मॉडल में खून बनते हुए ट्रैक कर पाया, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।
ब्लड कैंसर रिसर्च में बड़ी मदद
अब तक दुनिया भर में ब्लड कैंसर की रिसर्च ज्यादातर चूहों या दूसरे एनिमल मॉडल पर निर्भर रही है, जिनमें कई सीमाएं हैं।
नया मॉडल न सिर्फ अधिक वास्तविक है, बल्कि कई एनिमल एक्सपेरिमेंट्स को कम करने में भी मदद करेगा।
प्रोफेसर मार्टिन के शब्दों में:
“चूहे हमें बहुत कुछ सिखाते हैं, लेकिन यह मॉडल इंसान की असली बायोलॉजी को समझने का नया रास्ता खोलता है।”
ड्रग टेस्टिंग के लिए भी एक नया प्लैटफ़ॉर्म
नई दवाओं को सीधे इंसानी जैसी बोन मैरो में टेस्ट करना अब संभव होता दिख रहा है।
हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि ड्रग स्क्रीनिंग जैसे कामों के लिए इस मॉडल का आकार छोटा करना होगा ताकि एक साथ कई दवाओं की जांच की जा सके।
आगे चलकर पर्सनलाइज़्ड कैंसर ट्रीटमेंट का रास्ता खुल सकता है
भविष्य की योजना और भी रोचक है:
हर मरीज की अपनी कोशिकाओं से उनका व्यक्तिगत बोन मैरो मॉडल बनाना।
इससे डॉक्टर किसी भी मरीज के लिए सबसे अच्छी दवा या थेरेपी को पहले लैब में टेस्ट कर सकेंगे और फिर असल इलाज तय कर पाएंगे।
यह राह लंबी है, लेकिन यह अध्ययन पहला ठोस कदम माना जा रहा है।














