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नींद सुधारने में नई तकनीक: क्या वाकई काम करती है tVNS डिवाइस?

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 193

1 अक्टूबर 2025। नींद की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए तकनीक अब एक बड़ा सहारा बनती जा रही है। हाल ही में किए गए एक व्यक्तिगत प्रयोग में यह पाया गया कि ट्रांसक्यूटेनियस वेगस नर्व स्टिमुलेशन (tVNS) डिवाइस, जैसे कि पल्सटो, लगातार इस्तेमाल करने पर नींद और तनाव में सुधार ला सकते हैं।

शुरुआत में पहले 5 दिन तक कोई खास असर नजर नहीं आया। लेकिन एक हफ्ते के बाद धीरे-धीरे बदलाव महसूस हुआ – सोने में लगने वाला समय घटा और सुबह उठने पर थोड़ी तरोताज़गी महसूस हुई। हालांकि यह साफ नहीं कहा जा सकता कि सुधार डिवाइस की वजह से हुआ या केवल उम्मीद की वजह से, लेकिन परिणाम रिसर्च रिपोर्ट से मेल खाते हैं।

शोध बताते हैं कि tVNS डिवाइस तुरंत असर नहीं दिखाते, लेकिन 1–2 हफ्ते के नियमित इस्तेमाल से कई लोगों की नींद और तनाव में मामूली मगर अहम सुधार हो सकता है। इसे एक सुरक्षित, गैर-औषधीय तरीका माना जाता है।

स्लीप टेक इंडस्ट्री का बढ़ता दायरा
आज नींद तकनीक कोई सीमित बाजार नहीं रही। ग्लोबल स्लीप टेक इंडस्ट्री की कीमत करीब 25 बिलियन डॉलर है और अनुमान है कि अगले दशक में यह 65 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। स्मार्ट स्लीप डिवाइस, हेल्थ ऐप और डिजिटल वेलनेस टूल अब आधुनिक जीवन का हिस्सा बन चुके हैं।

फायदे और सवाल दोनों
हालांकि, एक सवाल हमेशा बना रहता है – क्या ये डिवाइस सचमुच मदद करते हैं?
कभी यह तकनीक बेहतर रूटीन और पैटर्न पहचानने में सहायक लगती है।
कभी लगता है कि यह सिर्फ आंकड़े जमा करने तक ही सीमित है, और खराब स्लीप स्कोर तनाव और बढ़ा देता है।

नींद तकनीक को एकमात्र समाधान नहीं, बल्कि अच्छी आदतों और आत्म-जागरूकता के साथ उपयोग करने पर एक सहयोगी साधन माना जा सकता है। सही इस्तेमाल से यह बेहतर नींद, कम तनाव और ऊर्जावान सुबह की ओर एक कदम हो सकता है।

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