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AI की वजह से दुनिया भर में मेमोरी चिप्स का संकट, RAM के दाम रिकॉर्ड स्तर पर

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 120

8 दिसंबर 2025। AI सर्वरों की भारी मांग ने ग्लोबल मेमोरी मार्केट को हिला दिया है। RAM और स्टोरेज चिप्स की कमी इतनी बढ़ गई है कि फोन से लेकर लैपटॉप और डेटा सेंटर तक हर सेक्टर दबाव में है। कई देशों में रिटेलर्स को स्टॉक बचाने के लिए बिक्री तक सीमित करनी पड़ रही है।

क्या हो रहा है?
AI डेटा सेंटर को साधारण सिस्टम की तुलना में कई गुना ज्यादा मेमोरी चाहिए। यही वजह है कि सैमसंग, SK हाइनिक्स और माइक्रोन जैसे बड़े निर्माता अपनी प्रोडक्शन लाइनें हाई-बैंडविड्थ मेमोरी (HBM) बनाने में लगा रहे हैं। नतीजा यह कि फोन और PC में इस्तेमाल होने वाली सामान्य RAM की सप्लाई घट रही है। ऊपर से 2022-23 की मंदी के बाद पहले से ही कम चल रही फैक्ट्रियों पर यह नया बोझ सप्लाई को और तंग कर रहा है।

कीमतें कितनी बढ़ीं?
कई लोकप्रिय RAM मॉड्यूल पिछले महीनों में 50 से 100 प्रतिशत तक महंगे हो चुके हैं। कुछ हाई-एंड 32GB और 64GB किट तो गेम कंसोल से भी महंगे मिल रहे हैं। PC बनाने या अपग्रेड करने वाले यूजर्स कीमतें देखकर संभलकर सांस ले रहे हैं।

बड़ी टेक कंपनियों की होड़
AI सर्वर बनाने वाली कंपनियों की भूख इतनी बढ़ गई है कि हालात "पहले आओ, पहले पाओ" जैसे हो गए हैं। माइक्रोसॉफ्ट और गूगल, माइक्रोन से जितना मेमोरी वह शिप कर सके, उसका पूरा ऑर्डर मांग रही हैं। चीन में बाइटडांस सैमसंग और SK हाइनिक्स पर प्रेशर डाल रहा है कि उन्हें ज्यादा स्टॉक मिले। इंडस्ट्री सोर्स की भाषा में—"सब लोग सप्लाई के लिए भीख मांग रहे हैं।"

किस पर असर?
स्मार्टफोन कंपनियां जैसे शाओमी और रियलमी चेतावनी दे चुकी हैं कि उन्हें बजट और मिड-रेंज फोन महंगे करने पड़ सकते हैं। PC मार्केट पर भी असर साफ दिख रहा है। गेमर्स के लिए यह सबसे बुरा समय है क्योंकि RAM की कीमतें लगभग लगातार ऊपर जा रही हैं।

आगे क्या?
विशेषज्ञ कह रहे हैं कि यह संकट जल्दी खत्म नहीं होगा। नई मेमोरी फैक्ट्रियां और पैकेजिंग लाइनें तैयार होने में कई साल लगते हैं। अनुमान है कि सप्लाई की कमी और ऊंची कीमतें 2027 तक बनी रह सकती हैं।
AI और क्लाउड डेटा सेंटर की तेज़ मांग अगर ऐसे ही बढ़ती रही, तो बड़े प्रोजेक्ट्स में देरी होगी और आम उपभोक्ता को फोन, लैपटॉप और क्लाउड सर्विस के बिल में इसका असर दिखेगा।

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