
17 जनवरी 2025। अंतरिक्ष पर्यटन से चंद्रमा की सतह पर छोड़े गए "मानव उपलब्धि के प्रतीक" खतरे में हैं। विश्व स्मारक कोष (WMF) ने पहली बार चंद्रमा को संकटग्रस्त ऐतिहासिक स्थलों की सूची में शामिल किया है। इसमें वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्रा से पहले चंद्र मिशनों के लैंडिंग स्थलों को होने वाले खतरे का जिक्र है।
WMF हर दो साल में 25 ऐसे स्थलों की सूची जारी करता है जो जलवायु परिवर्तन, पर्यटन, संघर्ष और प्राकृतिक आपदाओं से खतरे में हैं। इस संगठन ने वेनिस में बाढ़ रोकने की सुरक्षा व्यवस्था, नेपाल में महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार और कंबोडिया के अंगकोर वाट के मंदिरों की सुरक्षा जैसे कार्य किए हैं।
इस बार की सूची में 29 देशों के स्थल शामिल हैं, जैसे गाजा का नष्ट हो चुका शहरी क्षेत्र और स्वाहिली तट। पहली बार इसमें चंद्रमा जैसे अलौकिक स्थल को भी शामिल किया गया है।
संगठन ने कहा, "अंतरिक्ष अन्वेषण के नए युग में, चंद्रमा पर शुरुआती लैंडिंग के अवशेष खतरे में हैं। ये मानवता की उपलब्धियों के प्रतीक हैं।" 20 जुलाई 1969 को अपोलो 11 ने चंद्रमा पर लैंडिंग की थी। ट्रैंक्विलिटी बेस पर 106 वस्तुएं छोड़ी गईं, जिनमें नील आर्मस्ट्रांग के बूट प्रिंट भी शामिल हैं।
हालांकि चंद्रमा पर हवा और पानी नहीं होने से ये स्थल अब तक सुरक्षित हैं, लेकिन वाणिज्यिक अंतरिक्ष उद्योग की बढ़ती रुचि इन्हें खतरे में डाल रही है। स्पेसएक्स और नासा के मिशन, चीन के चंद्र कार्यक्रम, और भविष्य में चंद्र पर्यटन की योजनाओं से यह खतरा और बढ़ सकता है।
WMF ने चेतावनी दी है कि भविष्य के मिशन और निजी अन्वेषण से इन स्थलों पर लूटपाट, कलाकृतियों को हटाने और ऐतिहासिक प्रिंट को मिटाने का खतरा है।
फिलहाल चंद्र विरासत संरक्षण के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय समझौता नहीं है। 2023 में वैज्ञानिकों ने एयरोस्पेस विरासत की सुरक्षा के लिए एक समिति बनाई है और विश्व नेताओं से चंद्र स्थलों को बचाने के लिए संधि का प्रस्ताव करने की अपील की है।