
2 मार्च 2025। नासा के विज्ञान और प्रौद्योगिकी उपकरणों को लेकर गया फायरफ्लाई एयरोस्पेस का 'ब्लू घोस्ट मिशन 1' रविवार सुबह 3:34 बजे (ईएसटी) चंद्रमा के मारे क्रिसियम क्षेत्र में मोन्स लैट्रेइल नामक ज्वालामुखी के पास सफलतापूर्वक उतरा। यह क्षेत्र चंद्रमा के निकटवर्ती भाग के उत्तर-पूर्वी चतुर्थांश में स्थित एक विशाल 300 मील चौड़ा बेसिन है।
चंद्रमा पर ऐतिहासिक लैंडिंग
ब्लू घोस्ट लैंडर चंद्रमा पर एक स्थिर और संतुलित स्थिति में उतरा है। यह मिशन नासा की वाणिज्यिक चंद्र पेलोड सेवा (CLPS) पहल और आर्टेमिस अभियान का हिस्सा है। यह फायरफ्लाई एयरोस्पेस की पहली CLPS डिलीवरी और पहली चंद्र लैंडिंग भी है।
लैंडर पर सवार 10 वैज्ञानिक और तकनीकी उपकरण चंद्र सतह पर लगभग एक चंद्र दिवस (14 पृथ्वी दिवस) तक प्रयोग करेंगे।
नासा के वरिष्ठ अधिकारियों की प्रतिक्रिया
नासा की कार्यकारी प्रशासक जेनेट पेट्रो ने इस सफलता पर कहा,
"यह एक अविश्वसनीय उपलब्धि है, जो दिखाती है कि नासा और अमेरिकी कंपनियां अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। हमने पहले ही कई महत्वपूर्ण सबक सीख लिए हैं। ब्लू घोस्ट मिशन 1 के विज्ञान और तकनीकी प्रयोग भविष्य में अधिक वैज्ञानिक खोजों को संभव बनाएंगे और साथ ही, मानव अन्वेषण को भी सुरक्षित बनाएंगे।"
ब्लू घोस्ट ने अंतरिक्ष में रचा नया इतिहास
15 जनवरी को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होने के बाद, ब्लू घोस्ट ने अब तक 2.8 मिलियन मील से अधिक की यात्रा की है और 27GB से अधिक डेटा पृथ्वी पर भेजा है।
इस मिशन की प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं:
246,000 मील की रिकॉर्ड-ब्रेकिंग दूरी पर ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) सिग्नल ट्रैकिंग, जिससे यह साबित हुआ कि नासा चंद्रमा पर पृथ्वी जैसी पोजिशनिंग तकनीक का उपयोग कर सकता है।
वैन एलन बेल्ट में विकिरण सहिष्णु कंप्यूटिंग का परीक्षण।
चंद्रमा के चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन।
भविष्य के मिशनों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी
नासा मुख्यालय में विज्ञान विभाग के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर निकी फॉक्स ने कहा,
"आज जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी हम चंद्रमा पर भेज रहे हैं, वह न केवल नासा के भविष्य के अभियानों को दिशा देगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।"
इस मिशन के दौरान नासा की प्रयोगशालाएं चंद्र उपसतह ड्रिलिंग तकनीक, रेगोलिथ नमूना संग्रह, विकिरण सहिष्णु कंप्यूटिंग और चंद्र धूल शमन विधियों का भी परीक्षण करेंगी।
चंद्र सूर्यास्त और धूल प्रभावों का अध्ययन
पेलोड संचालन समाप्त होने से पहले, वैज्ञानिक चंद्र सूर्यास्त की छवियां कैप्चर करेंगे और अध्ययन करेंगे कि चंद्र धूल सौर प्रभावों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करती है। इस घटना को पहली बार अपोलो 17 मिशन के दौरान नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री यूजीन सेरनन ने दर्ज किया था।
वाणिज्यिक चंद्र अन्वेषण को मिला बढ़ावा
फायरफ्लाई एयरोस्पेस के सीईओ जेसन किम ने कहा,
"हम नासा को धन्यवाद देना चाहते हैं कि उन्होंने हमें चंद्र डिलीवरी प्रदाता के रूप में चुना। ब्लू घोस्ट की सफल लैंडिंग वाणिज्यिक चंद्र अन्वेषण के भविष्य के लिए मील का पत्थर है।"
अब तक 5 विक्रेताओं को CLPS के तहत 11 चंद्र डिलीवरी अनुबंध दिए जा चुके हैं। ये कंपनियां चंद्रमा के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से चंद्र दक्षिणी ध्रुव, पर 50 से अधिक वैज्ञानिक उपकरण भेजने की योजना बना रही हैं। CLPS अनुबंधों की कुल अनुमानित लागत 2028 तक $2.6 बिलियन हो सकती है।
ब्लू घोस्ट की सफल चंद्र लैंडिंग नासा के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक अनुसंधानों को आगे बढ़ाएगा, बल्कि आर्टेमिस कार्यक्रम और भविष्य के चंद्रमा व मंगल मिशनों के लिए भी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करेगा।