
18 जुलाई 2025 | प्रतिवाद डेस्क
चीन ने रूस और भारत के साथ मिलकर त्रिपक्षीय सहयोग यानी RIC (Russia-India-China) मंच को फिर से सक्रिय करने का समर्थन किया है। बीजिंग का कहना है कि यह सहयोग न केवल तीनों देशों के हित में है, बल्कि वैश्विक शांति, सुरक्षा और स्थिरता को भी मज़बूती देता है।
गुरुवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा,
“चीन, भारत और रूस के बीच त्रिपक्षीय सहयोग न केवल हमारे साझा हितों को साधता है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता को भी मज़बूत करता है। हम संवाद बनाए रखने और इस सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।”
यह बयान तब आया जब कुछ घंटे पहले ही रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रे रुडेंको ने कहा था कि मास्को, नई दिल्ली और बीजिंग के बीच आरआईसी प्रारूप को फिर से सक्रिय करने की चर्चाएं चल रही हैं।
◼️ क्यों अहम है RIC?
आरआईसी की अवधारणा 1990 के दशक में रूस के पूर्व प्रधानमंत्री येवगेनी प्रिमाकोव ने दी थी, जिसका उद्देश्य था अमेरिका की एकध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था को संतुलित करना।
हालाँकि बाद में यह समूह BRICS का हिस्सा बन गया, फिर भी RIC के विदेश मंत्री अब तक 18 बार बैठक कर चुके हैं।
रूसी मंत्री रुडेंको ने साफ कहा –
“तीनों देश ब्रिक्स के संस्थापक हैं और मौजूदा वैश्विक हालात में RIC की गैर-मौजूदगी अस्वाभाविक लगती है।”
◼️ भारत का भी मिला संकेत
नई दिल्ली ने भी इस त्रिपक्षीय बैठक की पुष्टि की है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा –
“RIC प्रारूप में बैठक की योजना तीनों देशों की आपसी सहमति से तय होगी। जब भी इसकी तारीख़ तय होगी, हम सार्वजनिक रूप से सूचित करेंगे।”
◼️ चीन-भारत के रिश्तों में आई नरमी बनी मौका
जून में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा था कि भारत-चीन सीमा विवाद में आई नरमी इस मंच को फिर से जीवंत करने का मौका बन सकती है।
“अब जबकि भारत और चीन के बीच तनाव कम हो रहा है, मुझे लगता है कि RIC की वापसी का समय आ गया है,” उन्होंने यूरेशियन सिक्योरिटी फोरम में कहा।
दुनिया की तीन बड़ी शक्तियाँ — रूस, भारत और चीन — एक बार फिर से पुराने मंच RIC के ज़रिए साझा मोर्चा बनाने की कोशिश में हैं। भू-राजनीतिक बदलते समीकरणों के बीच ये तिकड़ी क्या नया अध्याय लिखेगी, यह देखना दिलचस्प होगा।