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ब्रिक्स को ‘नए स्वरूप’ में ढालने को तैयार भारत: पीएम मोदी का वैश्विक दक्षिण पर फोकस

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Place: दिल्ली                                                👤By: prativad                                                                Views: 328

9 जुलाई 2025। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि भारत वर्ष 2026 में ब्रिक्स की अध्यक्षता ग्रहण करने के साथ ही इस मंच को ‘नए स्वरूप’ में परिभाषित करेगा और इसका एजेंडा वैश्विक दक्षिण के हितों को प्राथमिकता देगा।

ब्राज़ील के रियो डी जेनेरियो में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन मोदी ने पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए कहा,

“भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता के तहत, हम ब्रिक्स को नए स्वरूप में परिभाषित करने के लिए काम करेंगे। हमारा प्रयास होगा कि यह मंच जन-केंद्रित हो और मानवता प्रथम की भावना से आगे बढ़े।”

🌍 ग्लोबल साउथ के लिए मजबूत भूमिका
मोदी ने कहा कि भारत, G-20 की अध्यक्षता के दौरान जिस तरह विकासशील देशों की चिंताओं को प्राथमिकता देता रहा, उसी भावना को ब्रिक्स में भी आगे बढ़ाएगा।

“वैश्विक दक्षिण को हमसे बहुत उम्मीदें हैं। हमें ‘उदाहरण के द्वारा नेतृत्व’ के सिद्धांत पर चलना होगा।”

🔄 ब्रिक्स: एक बदलता हुआ समूह
ब्रिक्स की स्थापना 2006 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन ने की थी, दक्षिण अफ्रीका 2010 में जुड़ा।

2024 में ईरान, मिस्र, इथियोपिया और यूएई को पूर्ण सदस्यता मिली।

इंडोनेशिया 2025 में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुआ है।

30 से अधिक देशों ने ब्रिक्स में शामिल होने की इच्छा जताई है।

ब्रिक्स अब एक ऐसा मंच बन चुका है जो बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देने की दिशा में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।

🇮🇳 भारत की दृष्टि: न्यायसंगत विश्व व्यवस्था
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए कहा:

“हम एक साथ मिलकर अधिक शांतिपूर्ण, न्यायसंगत, लोकतांत्रिक और संतुलित बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के लिए प्रयास करते हैं।”

भारत वर्षों से यह रेखांकित करता रहा है कि ब्रिक्स देशों को वैश्विक मंचों पर विकासशील देशों की आवाज़ बनना चाहिए।

⚠️ ट्रंप की धमकी और ब्रिक्स की प्रतिक्रिया
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ब्रिक्स के साथ “संरेखित” होने वाले देशों पर अतिरिक्त 10% टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी और इस संगठन पर "अमेरिका विरोधी नीतियों" को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।

इसके जवाब में, रियो समिट की संयुक्त घोषणा में ब्रिक्स सदस्यों ने

“एकतरफा टैरिफ और मनमाने व्यापार उपायों” की आलोचना की,
हालांकि अमेरिका का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया गया।

📝 भारत की आगामी अध्यक्षता में ब्रिक्स का चेहरा और दृष्टि दोनों बदलने की तैयारी है। भारत इस मंच को सिर्फ राजनीतिक या आर्थिक सहयोग का माध्यम नहीं, बल्कि जन-केंद्रित वैश्विक संतुलन की दिशा में एक कदम मानता है।

“लचीलापन, नवाचार और समावेशी विकास” — यही होगी भारत के नेतृत्व में ब्रिक्स की नई परिभाषा।



🖊 रिपोर्ट: Prativad International Desk

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