
13 अगस्त 2025। चीनी वैज्ञानिकों ने दुर्लभ तिब्बती मृग के जीवन और प्रवास पर नज़दीकी निगरानी रखने के लिए एक विशेष रोबोटिक 'मृग' तैयार कर तिब्बत के ऊँचे पहाड़ी इलाकों में तैनात किया है।
शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई के अंत में 4,600 मीटर से अधिक ऊँचाई पर स्थित होह शिल राष्ट्रीय प्रकृति अभ्यारण्य में इस मशीन का सफल परीक्षण हुआ। यह रोबोट मृग की कंकाल संरचना जैसा बनाया गया है और असली नमूनों के आधार पर कृत्रिम फर से ढका गया है, जिससे यह आसानी से झुंड में घुल-मिल गया।
तीन दिन के शुरुआती प्रयोग में रोबोट ने सिर्फ मृगों के चरने के दृश्य रिकॉर्ड किए, लेकिन वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि भविष्य में यह जन्म जैसे दुर्लभ क्षण भी कैद करेगा। चीनी विज्ञान अकादमी के नॉर्थवेस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ प्लेटो बायोलॉजी के शोधकर्ता लियान शिनमिंग के अनुसार, लक्ष्य न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ मृगों का सुरक्षित प्रवास सुनिश्चित करना है।
तिब्बती मृगों का अध्ययन कठिन है क्योंकि वे ठंडी, ऑक्सीजन-रहित ऊँचाई पर रहते हैं और इंसानी नज़दीकी से तनाव या गर्भवती मादाओं में गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इन मृगों को किंघाई-तिब्बत पठार का एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक संकेतक भी माना जाता है।
A “#robot Tibetan antelope” recently joined a real herd, capturing close-up data beyond human reach. The curious #antelopes paused grazing to inspect their unusual new friend. #animal #AnimalLovers pic.twitter.com/jGvkiCsgqO
— Shanghai Daily (@shanghaidaily) August 12, 2025
इस रोबोटिक मृग का विचार वैज्ञानिकों को फरवरी में टीवी पर प्रसारित स्प्रिंग फेस्टिवल गाला में रोबोट नृत्य देखने के बाद आया। चौपाया रोबोट के निर्माताओं के अनुसार, यह कठिन और खतरनाक इलाकों में काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और परीक्षण में 2 किलोमीटर का दुर्गम रास्ता पार किया।
तिब्बती मृग कभी शिकारियों के कारण लुप्तप्राय हो चुके थे, लेकिन सरकारी संरक्षण प्रयासों से उनकी संख्या 1990 के दशक के 70,000 से बढ़कर अब लगभग 3 लाख तक पहुँच गई है।
The first robotic Tibetan antelope has been deployed in the heart of Hoh Xil, northwest China's Qinghai Province. The homegrown robot has successfully blended into the herd, overcoming the limitations of human observation with more precise and reliable footage and data to better… pic.twitter.com/TzDU2hhMKS
— China Science (@ChinaScience) August 11, 2025