जापान का सबसे बड़ा याकूज़ा गिरोह: 'यामागुची-गुमी' का खौफनाक साम्राज्य और युद्धविराम की ऐतिहासिक घोषणा

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 600

13 अप्रैल 2025। जब हम माफिया या अंडरवर्ल्ड की बात करते हैं, तो अक्सर इतालवी 'माफिया', रूसी 'वोर' या भारतीय 'डॉन' का ज़िक्र होता है। लेकिन एशिया में सबसे संगठित और रहस्यमय अपराध सिंडिकेट का नाम है — याकूज़ा (Yakuza)।

याकूज़ा जापान का पारंपरिक अपराध संगठन है, जिसकी जड़ें 17वीं सदी तक जाती हैं। आधुनिक युग में यह संगठन संगठित अपराध, जबरन वसूली, ड्रग्स, सट्टेबाज़ी, वेश्यावृत्ति, हथियार तस्करी, और यहां तक कि कानूनी व्यापारों में भी गहराई से जुड़ा हुआ है।

यामागुची-गुमी: सबसे शक्तिशाली याकूज़ा समूह
'यामागुची-गुमी' (Yamaguchi-gumi) जापान का सबसे बड़ा याकूज़ा गिरोह है और विश्व के सबसे बड़े आपराधिक संगठनों में से एक माना जाता है।

स्थापना: 1915, कोबे शहर में
मुख्यालय: कोबे, जापान
सदस्य संख्या: लगभग 3,300 (2024 तक)
मुख्य क्रियाकलाप: ड्रग्स तस्करी, जुआ, निर्माण उद्योग में घुसपैठ, निवेश धोखाधड़ी, जबरन वसूली, साइबर अपराध

🕊️ गैंगवार का अंत: यामागुची-गुमी की ऐतिहासिक शांति प्रतिज्ञा
2025 की शुरुआत में एक ऐतिहासिक घटनाक्रम में, यामागुची-गुमी ने एक दशक से अधिक समय से चल रही गैंगवार को समाप्त करने का संकल्प लिया है।

8 अप्रैल 2025 को, यामागुची-गुमी के तीन वरिष्ठ सदस्यों ने ह्योगो प्रीफेक्चरल पुलिस मुख्यालय पहुंचकर एक औपचारिक पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने “सभी आंतरिक झगड़े समाप्त करने” और “कभी भी कोई सार्वजनिक परेशानी न करने” का वचन दिया।

यह कदम तब उठाया गया जब
2015 में यामागुची-गुमी से अलग हुए गुट ने कोबे यामागुची-गुमी बनाया था।
इसके बाद कई वर्षों तक इन दोनों गुटों के बीच सशस्त्र झड़पें, गोलाबारी, और चाकूबाज़ी की घटनाएं सामने आईं।
हिंसा से मध्य और पश्चिमी जापान के कई शहर प्रभावित हुए, जिससे पुलिस पर सख्त कार्रवाई का दबाव बढ़ा।
2020 में पुलिस ने इन गुटों को “युद्धरत संगठन” घोषित कर दिया, जिससे उनकी गतिविधियों पर विशेष निगरानी और प्रतिबंध लागू हो सके।

अब जबकि यामागुची-गुमी ने एकतरफा युद्धविराम की घोषणा की है, यह स्पष्ट नहीं है कि प्रतिद्वंद्वी कोबे यामागुची-गुमी ने इसका समर्थन किया है या नहीं। पुलिस ने दोनों संगठनों पर करीबी नजर बनाए रखने की बात कही है।

📉 गिरती सदस्यता, बढ़ती चुनौतियां
2024 में याकूज़ा की कुल सदस्यता 18,800 रह गई, जो इतिहास में पहली बार 20,000 से नीचे पहुंची।
यामागुची-गुमी की सदस्य संख्या 2014 के मुकाबले आधी होकर सिर्फ़ 3,300 रह गई।
कोबे यामागुची-गुमी में मात्र 120 सदस्य शेष हैं।
इस गिरती ताकत के पीछे सख्त पुलिस कार्रवाई, सामाजिक बहिष्कार, और कानूनी व आर्थिक प्रतिबंध मुख्य कारण हैं।

⚠️ नई चुनौती: टोकुर्यू गिरोह
जैसे-जैसे पारंपरिक याकूज़ा की पकड़ कमजोर हुई है, जापान एक नई आपराधिक प्रवृत्ति से जूझ रहा है — जिसे "टोकुर्यू" कहा जा रहा है। ये: गुमनाम और असंगठित गिरोह हैं,
याकूज़ा से संबंध नहीं रखते,
सोशल मीडिया, रोमांस स्कैम, ऑनलाइन ठगी और हिंसक डकैतियों में संलिप्त हैं।
2024 में करीब 10,000 टोकुर्यू सदस्यों की जांच की गई, जिनका संबंध टोक्यो में हुई कई हाई-प्रोफाइल घटनाओं से था।

अतीत की छाया, भविष्य का सवाल
‘यामागुची-गुमी’ जैसे गिरोहों का इतिहास एक तरफ अपराध की दुनिया में गहराई से जुड़ा है, तो दूसरी ओर जापान की कानून-व्यवस्था, संस्कृति और मीडिया में इनका प्रभाव साफ दिखता है।

हालांकि सदस्यता घट रही है और संगठनों में फूट है, फिर भी याकूज़ा का असर पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। युद्धविराम की घोषणा एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन यह देखने वाली बात होगी कि क्या यह अपराध के एक युग का अंत है — या सिर्फ एक बदलाव की शुरुआत।

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