
| प्रतिनिधि, Prativad.com
18 अप्रैल 2025। मध्य प्रदेश में चीतों को लेकर एक नई शुरुआत होने जा रही है। कूनो नेशनल पार्क के बाद अब गांधी सागर अभ्यारण्य को चीतों का दूसरा घर बनाया जा रहा है। 20 अप्रैल 2025 को दो चीतों को कूनो से गांधी सागर में स्थानांतरित किया जाएगा। इस ऐतिहासिक कदम के लिए चीता स्टीयरिंग कमेटी ने अनुमति दे दी है।
सूत्रों के मुताबिक, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव के बीच होने वाली बैठक में इस निर्णय की औपचारिक घोषणा की जा सकती है। यह कदम न केवल चीतों के लिए नया आवास तैयार करेगा, बल्कि प्रोजेक्ट चीता की सफलता को अगले चरण में ले जाएगा।
🐆 कूनो में लगातार बढ़ रही है चीतों की संख्या
कूनो नेशनल पार्क में इस समय 26 चीते मौजूद हैं, जिनमें से 14 शावक मध्यप्रदेश की धरती पर जन्मे हैं। इनमें से 17 चीते अब खुले जंगलों में स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे हैं। खास बात यह है कि मादा चीता गामिनी ने 10 मार्च को 6 शावकों को जन्म दिया था, हालांकि उनमें से 2 की मृत्यु हो गई।
इसके अलावा मादा चीता ज्वाला भी अपने शावकों के साथ खुले क्षेत्र में है। वन विभाग का कहना है कि कूनो से जल्द नई खुशखबरी भी आ सकती है।
🐆 चीतों की वापसी: एक ऐतिहासिक सफर
17 सितंबर 2022: करीब 75 सालों बाद चीतों की भारत में वापसी, नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा।
फरवरी 2023: दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो लाए गए।
2022–2025 के बीच: प्रोजेक्ट चीता के दौरान कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले — 8 वयस्क और 5 शावकों की मृत्यु हुई, बावजूद इसके संख्या में वृद्धि जारी रही।
वर्तमान आंकड़ा: 12 वयस्क और 14 शावकों सहित कुल 26 चीते, जिनमें से 17 खुले जंगलों में घूम रहे हैं।
सुरक्षित वन, सुखी जीवन...
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) April 18, 2025
माननीय केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव जी के साथ आज आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी, भोपाल में 'वन संरक्षण और जलवायु-समर्थ आजीविका' पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में सहभागिता करूंगा।… pic.twitter.com/rCgDIeWCdE
🐆 गांधी सागर: तैयार हो रहा नया वन्य आवास
गांधी सागर अभ्यारण्य को विशेष रूप से चीतों की आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किया गया है। प्राकृतिक आवास, भोजन की उपलब्धता और सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता दी गई है, जिससे चीतों को नया वातावरण सहज लगे।
प्रोजेक्ट चीता के इस नए अध्याय से मध्य प्रदेश "चीता राज्य" के रूप में और भी मजबूत स्थिति में उभरेगा। यह कदम देश में वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता को एक नई दिशा देगा।