तूफ़ान से पहले का सन्नाटा: केंद्र सरकार और न्यायपालिका को लेकर बड़े संकेत, हलचल तेज

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Place: नई दिल्ली                                                👤By: prativad                                                                Views: 883

20 अप्रैल 2025। देश की राजधानी से लेकर सीमावर्ती इलाकों तक अचानक तेज हुई राजनीतिक और रणनीतिक गतिविधियों ने यह संकेत दे दिया है कि आने वाले दिनों में कोई बड़ा निर्णय या संवैधानिक बदलाव सामने आ सकता है। बीते कुछ दिनों में हुईं अहम बैठकों, यात्राओं के स्थगन और न्यायपालिका से जुड़ी घटनाओं ने देशभर में चर्चाओं का नया दौर शुरू कर दिया है।

👉 प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति की अचानक मुलाकात
दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से रात 8 बजे अचानक मुलाकात की। इस बैठक की कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह मुलाकात बेहद महत्वपूर्ण विषय को लेकर थी।

उसी रात भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के निवास पर भी मंत्रियों की गोपनीय बैठक हुई, जिसके एजेंडा का भी खुलासा नहीं हुआ है।

👉 अहम यात्राएं और कार्यक्रम रद्द
प्रधानमंत्री मोदी का 19 अप्रैल को प्रस्तावित श्रीनगर दौरा अचानक रद्द कर दिया गया है। इसके साथ ही गृह मंत्री अमित शाह के आगामी सप्ताह भर के सभी कार्यक्रम भी स्थगित कर दिए गए हैं। इसके अलावा, हर सप्ताह होने वाली मंत्रिपरिषद की बैठक इस बार टाल दी गई है।

इन घटनाओं की टाइमिंग ने राजनीतिक हलकों में यह चर्चा शुरू कर दी है कि केंद्र सरकार किसी बड़े निर्णय की तैयारी में है।

👉 न्यायपालिका को लेकर नई बहस
वाइस प्रेसिडेंट जगदीप धनखड़ के हालिया बयानों ने न्यायपालिका बनाम कार्यपालिका बहस को हवा दी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर आर्टिकल 142 का ‘न्यूक्लियर मिसाइल’ की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए राष्ट्रपति और राज्यपाल को Mandamus यानी 'आदेश' जारी किया कि वे विधानसभा से पास होकर आए विधेयकों पर तीन महीने में फैसला लें। यह आदेश सिर्फ दो जजों की बेंच द्वारा दिया गया, जबकि संविधान के अनुच्छेद 145(3) के अनुसार, ऐसा मामला कम से कम पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष होना चाहिए था।

विशेष रूप से तमिलनाडु के मामलों में राज्यपाल द्वारा रोककर रखे गए बिलों को लेकर कोर्ट का यह आदेश आया है, जिसे संवैधानिक विशेषज्ञ एक बड़े बदलाव का संकेत मान रहे हैं।

👉 क्या बंगाल या बांग्लादेश बॉर्डर पर है कोई रणनीति?
सूत्रों के अनुसार, Siliguri Corridor (पश्चिम बंगाल) पर सेना की तैनाती और S-400 जैसे एडवांस डिफेंस सिस्टम की संभावित तैनाती की चर्चाएं भी चल रही हैं। हालांकि, फिलहाल पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन जैसी कोई योजना नहीं दिख रही है।

लगातार रद्द हो रही यात्राएं, बंद कमरे की मीटिंग्स, न्यायपालिका पर सख्त टिप्पणियां और अचानक लिए गए फैसले यह स्पष्ट करते हैं कि देश किसी बड़े संवैधानिक, राजनीतिक या रणनीतिक निर्णय की दहलीज़ पर खड़ा है।

क्या ये सिर्फ एक इत्तेफाक है या तूफान से पहले का सन्नाटा? आने वाले कुछ दिन देश की दिशा तय कर सकते हैं।

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