
20 अगस्त 2025। भारत और चीन के रिश्तों में हाल के वर्षों की तनातनी के बावजूद अब कुछ सकारात्मक संकेत उभरते दिखाई दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि द्विपक्षीय संबंध "आपसी सम्मान और संवेदनशीलता" पर आधारित हैं और इनमें “स्थिर प्रगति” हो रही है।
मोदी ने यह टिप्पणी अपने आवास पर चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के दौरान की। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि सीमा पर शांति और सौहार्द ही रिश्तों में मजबूती की कुंजी है। उन्होंने यह भी दोहराया कि सीमा विवाद का समाधान निष्पक्ष, संतुलित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य तरीक़े से होना चाहिए।
तीन दिवसीय भारत यात्रा पर आए वांग यी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी गहन चर्चा की। दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि रिश्तों में “कठिन दौर” बीता है, लेकिन अब आगे बढ़ने की कोशिश हो रही है। वार्ता के बाद यह सहमति बनी कि सीमा प्रबंधन को मज़बूत किया जाएगा, जल्द ही सीधी उड़ानें बहाल होंगी और सीमा व्यापार खोला जाएगा।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत और चीन 2026 व 2027 में BRICS की अध्यक्षता के दौरान एक-दूसरे का समर्थन भी करेंगे।
चीनी नेता वांग यी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से मोदी को इस महीने 31 अगस्त को तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया। इसके जवाब में मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि वे शी जिनपिंग से मुलाकात को लेकर उत्साहित हैं और यूरेशियन समूह में बीजिंग की अध्यक्षता का समर्थन करते हैं।
मोदी और शी की पिछली सीधी मुलाकात रूस के कज़ान में BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। 2020 में सीमा पर हुई झड़पों के बाद यह उनकी पहली गंभीर द्विपक्षीय बातचीत थी। उस बैठक में दोनों नेताओं ने विवादित इलाकों से पीछे हटने और रिश्तों को धीरे-धीरे सामान्य करने पर सहमति जताई थी।
कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बाद अब उद्योग और व्यापार जगत की मांगों को देखते हुए निवेश पर लगे प्रतिबंधों में ढील देना शुरू किया गया है। इसी क्रम में, भारत सरकार ने इस जुलाई से 2020 में लगे कोविड-19 प्रतिबंधों में भी कुछ राहत दी है।