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भारत ने 7.6 अरब डॉलर की नई रक्षा खरीद को दी मंजूरी, ब्रह्मोस मिसाइल और सशस्त्र ड्रोन शामिल

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Place: नई दिल्ली                                                👤By: prativad                                                                Views: 457

6 अगस्त 2025। भारत सरकार ने सशस्त्र बलों की ताकत और तकनीकी क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए 7.6 अरब डॉलर (लगभग ₹63,000 करोड़) की नई रक्षा खरीद को हरी झंडी दे दी है। यह मंजूरी मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में दी गई।

इस फैसले के तहत देश अधिक ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल, सशस्त्र ड्रोन, और कई प्रमुख हथियार प्रणालियों के अपग्रेड को आगे बढ़ाएगा।

◼️ वायुसेना, नौसेना और थलसेना को मिलेगा बड़ा तकनीकी संबल
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस मंजूरी में वायुसेना के बोइंग विमानों, एस-400 वायु रक्षा प्रणाली के लिए व्यापक वार्षिक रखरखाव अनुबंध, और मौजूदा हथियार प्रणालियों की दीर्घकालिक सपोर्ट योजनाएं भी शामिल हैं।

भारतीय नौसेना को ब्रह्मोस के साथ-साथ मौजूदा बराक-1 मिसाइल प्रणाली के अपग्रेड की सुविधा मिलेगी।

वायुसेना की स्पाइडर मिसाइल सिस्टम को एकीकृत वायु कमान नियंत्रण प्रणाली से जोड़ा जाएगा ताकि वायु रक्षा नेटवर्क को और सशक्त किया जा सके।

थलसेना के बीएमपी इन्फैंट्री व्हीकल्स में थर्मल इमेजिंग और नाइट विजन डिवाइसेज़ जोड़े जाएंगे।

◼️ स्वदेशी निर्माण और तकनीक पर जोर
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि नौसेना के लिए कॉम्पैक्ट ऑटोनॉमस सरफेस क्राफ्ट की खरीद भी मंजूर की गई है, जो पनडुब्बी रोधी अभियानों में बड़ी भूमिका निभाएंगे। वहीं वायुसेना के लिए उन्नत पर्वतीय रडार सिस्टम खरीदे जाएंगे।

इसके साथ ही मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (MALE) ड्रोन भी खरीदे जाएंगे, जो सशस्त्र बलों को 24x7 निगरानी और सटीक युद्ध क्षमताएं प्रदान करेंगे।

◼️ घरेलू उद्योगों को बढ़ावा
गौरतलब है कि भारत ने पिछले महीने भी 12 अरब डॉलर मूल्य के हथियारों की खरीद को मंजूरी दी थी, जिसमें घरेलू रक्षा उद्योगों से आपूर्ति को प्राथमिकता दी गई थी।

भारत दुनिया के सबसे बड़े रक्षा आयातकों में शामिल है, लेकिन हाल के वर्षों में सरकार का फोकस स्वदेशीकरण पर है। रूस, भारत का पारंपरिक हथियार साझेदार, इन स्वदेशी प्रयासों में एक प्रमुख सहयोगी बना हुआ है।

यह रक्षा खरीद न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि देश की आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण नीति को भी नई गति देगी।

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