
14 जुलाई 2025। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि भारत द्वारा मई में पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष के दौरान ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के प्रभावी उपयोग के बाद लगभग 15 देशों ने इन मिसाइलों में रुचि दिखाई है।
सिंह ने बताया कि इस सैन्य अभियान को 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम दिया गया था, जिसमें ब्रह्मोस मिसाइलों ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल ने चमत्कारी प्रदर्शन किया। अब करीब 14 से 15 देश इन मिसाइलों को खरीदने की इच्छा जता रहे हैं।"
ब्रह्मोस मिसाइलें भारत-रूस की संयुक्त परियोजना ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित की गई हैं। इस परियोजना में भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की 50.5% और रूस की NPO मशीनोस्ट्रोयेनिया की 49.5% हिस्सेदारी है। इन मिसाइलों का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदियों पर रखा गया है।
मई में चार दिन तक चले सैन्य तनाव के दौरान भारत ने रूस निर्मित S-400 वायु रक्षा प्रणाली के साथ ब्रह्मोस मिसाइलों का उपयोग कर अपने सैन्य ठिकानों की सफल रक्षा की। इससे मिसाइल की विश्वसनीयता और मारक क्षमता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है।
रक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि भारतीय सशस्त्र बल अभी भी लगभग 60% रूसी उपकरणों पर निर्भर हैं। इसी क्रम में, उन्होंने पिछले महीने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के दौरान रूस के रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव से मुलाकात कर S-400 की आपूर्ति, Su-30 MKI के अपग्रेड और अन्य सैन्य उपकरणों की खरीद पर चर्चा की।
भारत की ‘आत्मनिर्भर रक्षा’ नीति के तहत, सरकार स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा दे रही है, जिसमें रूस की साझेदारी को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। हाल ही में रूस ने भारतीय नौसेना को एक नया क्रिवाक श्रेणी का स्टील्थ फ्रिगेट सौंपा है, जो पिछले दो दशकों में भारत को मिला आठवां युद्धपोत है। इस पोत में 26% भारतीय उपकरण हैं और इसका निर्माण रूस के यंतर शिपयार्ड में हुआ था, जिसकी निगरानी भारतीय विशेषज्ञों ने की।