
प्रतिवाद डेस्क|
26 अप्रैल 2025। दुनिया के सबसे तकनीकी रूप से उन्नत देशों में से एक दक्षिण कोरिया को भी अब चुनावी साइबर हमलों का सामना करना पड़ा है। राष्ट्रीय चुनाव आयोग (NEC) ने पुष्टि की है कि उसकी चुनाव सांख्यिकी प्रणाली पर एक सुनियोजित साइबर हमला हुआ, जिसने चुनावी व्यवस्था की साइबर सुरक्षा को लेकर नई चिंताएं पैदा कर दी हैं।
यह हमला दोपहर 2:40 बजे शुरू हुआ और करीब तीन घंटे तक चला, जिसमें NEC की एकीकृत साइबर निगरानी प्रणाली ने संदिग्ध गतिविधियों का तुरंत पता लगा लिया। अधिकारियों ने तेजी से प्रतिक्रिया देते हुए संदिग्ध IP पते ब्लॉक किए और प्रणाली को बड़े नुकसान से बचा लिया गया। लेकिन चुनाव आयोग ने अलर्ट मोड में जाकर निगरानी और जांच बढ़ा दी है, ताकि किसी भी दूसरी असामान्यता को समय रहते पकड़ा जा सके।
चुनाव से 40 दिन पहले आया साइबर खतरा
चिंता की बात यह है कि यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब देश में 21वें राष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ 40 दिन बचे हैं। आयोग ने इस हमले को बहुत गंभीर बताते हुए कहा कि चुनावी डेटा की सुरक्षा देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की नींव है, और इस तरह की घटनाएं लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश मानी जा सकती हैं।
कोई डेटा चोरी नहीं, पर खतरे बड़े हैं
अब तक किसी डेटा चोरी या प्रणाली के क्षतिग्रस्त होने की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन विशेषज्ञ इसे "साइबर वारफेयर की पूर्व चेतावनी" मान रहे हैं। NEC ने हमले की जांच के लिए साइबर अपराध शाखा और पुलिस की मदद मांगी है। प्रारंभिक जांच में हमले की विदेशी हस्तक्षेप या किसी संगठित साइबर गिरोह से जुड़ी साजिश की आशंका जताई जा रही है।
चुनावी प्रणालियों पर साइबर खतरे का वैश्विक संकेत
यह घटना सिर्फ दक्षिण कोरिया तक सीमित नहीं है। हाल के वर्षों में अमेरिका, फ्रांस, भारत, ब्राज़ील जैसे लोकतांत्रिक देशों को भी चुनावों के दौरान साइबर हस्तक्षेप का सामना करना पड़ा है। डिजिटल युग में जहां चुनावी आंकड़े और मतदाता जानकारी ऑनलाइन होती हैं, वहां चुनाव प्रणालियों पर साइबर अटैक करना अब एक नई चुनावी रणनीति का हिस्सा बनता जा रहा है — चाहे वह भ्रम फैलाना हो, परिणाम प्रभावित करना हो या लोकतंत्र को कमजोर करना।
क्या है आगे की रणनीति?
NEC अब सभी चुनावी सिस्टम की सुरक्षा ऑडिट करवा रहा है। इसके साथ ही, देश की अन्य सार्वजनिक संस्थाओं को भी साइबर सतर्कता अलर्ट जारी किया गया है। आयोग का लक्ष्य है कि आगामी चुनाव से पहले हर स्तर पर डिजिटल सुरक्षा को फुलप्रूफ बनाया जाए।