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भारत ने युद्ध विराम के बीच ब्रह्मोस मिसाइल उत्पादन इकाई चालू की

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Place: नई दिल्ली                                                👤By: prativad                                                                Views: 358

11 मई 2025। युद्धविराम की वैश्विक चर्चाओं के बीच भारत ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल निर्माण इकाई का उद्घाटन कर अपनी रक्षा क्षमताओं को एक नई मजबूती दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस अत्याधुनिक विनिर्माण सुविधा का शुभारंभ किया, जहां दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक का निर्माण किया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, यह मिसाइल 290 से 400 किलोमीटर तक की रेंज में मार करने में सक्षम है और इसकी गति 2.8 मैक तक पहुँच सकती है। यह मिसाइल भूमि, समुद्र और पनडुब्बी से लॉन्च की जा सकती है और दुश्मन के ज़मीनी ठिकानों पर सटीक और शक्तिशाली प्रहार करने की क्षमता रखती है।

ब्रह्मोस एयरोस्पेस एक भारत-रूस संयुक्त उद्यम है, जिसकी शुरुआत 2005 में हुई थी। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदियों के नाम पर रखा गया है। इसमें भारत के DRDO की 50.5% और रूस की NPO Mashinostroyenia की 49.5% हिस्सेदारी है।

नई उत्पादन इकाई के साथ-साथ ब्रह्मोस मिसाइलों के परीक्षण और संयोजन के लिए एक ‘इंटीग्रेशन एंड टेस्टिंग फैसिलिटी’ भी शुरू की गई है। इसके अतिरिक्त, इस अवसर पर ‘डिफेंस टेस्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम (DTIS)’ की आधारशिला भी रखी गई, जो रक्षा उत्पादों के परीक्षण और प्रमाणन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

करीब 35 मिलियन डॉलर की लागत से निर्मित यह सुविधा साढ़े तीन वर्षों में तैयार हुई है। भारत की रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने हाल ही में 250 ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद को मंजूरी दी है, जो भारत की सैन्य तैयारियों को और अधिक सशक्त बनाएगा।

ब्रह्मोस मिसाइल भारतीय सेना के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से एक प्रमुख हथियार बन चुकी है। शुरुआत में इसकी रेंज 290 किमी थी, लेकिन समय के साथ इसके तकनीकी उन्नयन ने इसकी क्षमता को और बढ़ाया है।

इस निर्माण इकाई की शुरुआत ऐसे समय में हुई है जब फरवरी में भारत और रूस ने एक नया रक्षा समझौता किया है, जो दोनों देशों के बीच लॉजिस्टिक्स और सैन्य सहयोग को और सुदृढ़ करता है। गौरतलब है कि भारतीय सेना के लगभग 60% उपकरण अभी भी रूसी मूल के हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारत तेजी से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहा है, और इस दिशा में निजी क्षेत्र की भागीदारी से भी महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की जा रही हैं।

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