
16 मई 2025। अमेरिकी ऊर्जा विभाग ने हाल ही में चीनी निर्मित सोलर इनवर्टर्स और बैटरियों में ऐसे गुप्त कम्युनिकेशन डिवाइस पाए हैं जो उत्पाद के दस्तावेजों में दर्ज नहीं थे। यह खुलासा सुरक्षा विशेषज्ञों ने किया, जिन्होंने ग्रिड से जुड़े उपकरणों की जांच के दौरान इन डिवाइस को खोजा। इन डिवाइस के जरिए फायरवॉल को बायपास कर सिस्टम तक दूरस्थ पहुंच बनाई जा सकती है, जिससे राष्ट्रीय पावर ग्रिड को खतरा हो सकता है।
इनवर्टर, जो सौर पैनलों, विंड टर्बाइनों, बैटरियों, हीट पंपों और इलेक्ट्रिक वाहन चार्जरों को बिजली ग्रिड से जोड़ते हैं, आमतौर पर चीन में बनाए जाते हैं। इनकी रिमोट एक्सेस की सुविधा को उपयोगकर्ता कंपनियां फायरवॉल के जरिए सीमित करती हैं। लेकिन जब बिना दस्तावेज वाले कम्युनिकेशन उपकरण इन डिवाइसेज़ में पाए गए, तो चिंता और गहरी हो गई।
सूत्रों के अनुसार, पिछले नौ महीनों में कई चीनी कंपनियों की बैटरियों में भी ऐसे सेलुलर रेडियो और अन्य संचार उपकरण मिले हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि एक साथ इन डिवाइस के माध्यम से सोलर इनवर्टर्स को रिमोटली बंद किया जाए या उनके सेटिंग बदले जाएं, तो इससे बड़े पैमाने पर ब्लैकआउट हो सकता है या पावर ग्रिड को स्थायी नुकसान पहुंच सकता है।
अमेरिकी प्रतिनिधि अगस्त फ्लूगर ने कहा कि "चीनी कम्युनिस्ट पार्टी हमारे महत्वपूर्ण अवसंरचना पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रही है। अब समय आ गया है कि हम कड़ा रुख अपनाएं।"
वर्तमान में अमेरिकी ऊर्जा विभाग (DOE) सॉफ़्टवेयर बिल ऑफ मैटेरियल्स जैसे उपायों से उपकरणों की पारदर्शिता बढ़ाने पर काम कर रहा है। इस बीच, अमेरिका की कुछ यूटिलिटी कंपनियां चीनी उपकरणों के विकल्प तलाश रही हैं।
हुआवे, जो 2022 में वैश्विक स्तर पर 29% इनवर्टर बाजार का नेतृत्व कर रहा था, पहले ही अमेरिकी बाजार छोड़ चुका है लेकिन यूरोप और अन्य क्षेत्रों में उसकी मजबूत उपस्थिति बनी हुई है। यूरोपीय देशों में भी चिंता बढ़ रही है। लिथुआनिया और एस्टोनिया जैसे देशों ने चीनी तकनीक पर नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाए हैं।
यूरोपीय सोलर मैन्युफैक्चरिंग काउंसिल के अनुसार, यूरोप में 200 गीगावॉट से अधिक सौर क्षमता चीनी इनवर्टर्स से जुड़ी है, जो 200 से अधिक परमाणु संयंत्रों के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इन पर रिमोट से नियंत्रण किया गया तो बिजली आपूर्ति प्रणाली पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
यह घटनाक्रम अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते रणनीतिक तनाव के बीच सामने आया है, और यह अब वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक चेतावनी बन गया है।