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पश्चिम भारत और चीन को आमने-सामने लाने की कोशिश कर रहा है: रूसी विदेश मंत्री लावरोव

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Place: नई दिल्ली                                                👤By: prativad                                                                Views: 203

17 मई 2025। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने आरोप लगाया है कि पश्चिमी देशों की नीति भारत और चीन के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न करने की दिशा में बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि एशिया के दो प्रमुख देशों के बीच तनाव भड़काने के प्रयास स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं।

रूसी समाचार एजेंसी TASS के अनुसार, लावरोव ने गुरुवार को ‘सीमाओं के बिना संस्कृति’ राजनयिक क्लब की बैठक में कहा, "एशिया-प्रशांत क्षेत्र की घटनाओं पर गौर करें, जिसे अब पश्चिम ने जानबूझकर ‘इंडो-पैसिफिक’ कहना शुरू कर दिया है। यह परिभाषा उनकी चीन-विरोधी नीति का संकेत है, और इसका मकसद भारत और चीन जैसे हमारे मित्र देशों के बीच तनाव पैदा करना है।”

लावरोव ने यह भी दावा किया कि पश्चिमी देश दक्षिण पूर्व एशिया में आसियान (ASEAN) की केंद्रीय भूमिका को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आसियान दशकों से इस क्षेत्र में राजनीतिक संवाद, सैन्य सहयोग और सामूहिक रक्षा की दिशा में संतुलन बनाने में अहम भूमिका निभाता आया है।

आसियान दस दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों — इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और वियतनाम — का संगठन है, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है।

लावरोव ने आरोप लगाया कि पश्चिमी देश अब आसियान की सामूहिक सहमति की परंपरा को दरकिनार कर, कुछ सदस्य देशों को छोटे-छोटे सैन्य गठबंधनों और प्रतिस्पर्धात्मक ब्लॉक्स में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

उन्होंने यूरेशिया में एक महाद्वीपीय सुरक्षा ढांचे की आवश्यकता पर बल दिया। उनके अनुसार, यह क्षेत्र कई सभ्यताओं का घर है, जिन्होंने आधुनिक समय में भी अपनी पहचान और महत्व बनाए रखा है। लावरोव ने कहा कि अफ्रीका और लैटिन अमेरिका की तरह यूरेशिया को भी एक समग्र, एकीकृत संगठन की जरूरत है जो सभी प्रमुख शक्तियों और सभ्यताओं के हितों का समन्वय कर सके।

उन्होंने उदाहरण दिया कि अफ्रीकी संघ और लैटिन अमेरिकी-कैरेबियाई देशों का समुदाय (CELAC) जैसे संगठन अपने-अपने क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जबकि यूरेशिया अब भी ऐसे किसी समर्पित महाद्वीपीय संगठन से वंचित है।

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