
25 जून 2025। लगभग दो सप्ताह तक चले तनाव और सैन्य संघर्ष के बाद अमेरिका की मध्यस्थता से मंगलवार को इजरायल और ईरान के बीच युद्धविराम लागू हो गया। इसके साथ ही दोनों पक्षों ने इसे अपनी-अपनी ‘जीत’ बताया है, जिससे मध्य पूर्व के दो कट्टर प्रतिद्वंद्वियों के बीच छिड़ा संकट फिलहाल शांत होता नजर आ रहा है।
इस ऐतिहासिक युद्धविराम की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार देर शाम अपने आधिकारिक बयान में की। उन्होंने दोनों देशों से इस समझौते का सम्मान करने की अपील की।
13 जून को शुरू हुआ था संघर्ष
यह खुला सैन्य संघर्ष 13 जून को तब शुरू हुआ जब इजरायल ने ईरान पर हवाई हमले किए। इजरायल ने दावा किया कि ये हमले ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने के लिए किए गए थे। वहीं तेहरान ने इजरायल के आरोपों को खारिज करते हुए इसे युद्ध की कार्रवाई बताया और जवाबी मिसाइल और ड्रोन हमले शुरू कर दिए।
अमेरिका भी शामिल हुआ संघर्ष में
23 जून को अमेरिका ने भी सैन्य हस्तक्षेप करते हुए ईरान के नतानज़ और फोर्डो स्थित यूरेनियम संवर्धन केंद्रों पर निशाना साधा। अगले ही दिन ईरान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए कतर में स्थित अमेरिकी ‘अल उदीद एयर बेस’ पर मिसाइल दागी। हालांकि अमेरिकी अधिकारियों ने इस हमले में किसी तरह की जनहानि से इनकार किया।
राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिकी ठिकानों को "नाममात्र का नुकसान" हुआ है और किसी अमेरिकी सैनिक को चोट नहीं आई।
परमाणु वार्ता पर संकट
इस टकराव ने ईरान और अमेरिका के बीच चल रही अप्रत्यक्ष परमाणु वार्ताओं को भी गहरा झटका दिया है। ओमान की मध्यस्थता में चल रही ये बातचीत इजरायली हमलों के बाद ईरान ने अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दी।
दोनों देशों में भारी जनहानि
ईरानी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायली हमलों में अब तक कम से कम 430 ईरानी नागरिकों की मौत हो चुकी है और 3,500 से अधिक घायल हुए हैं। इजरायल ने भी 25 नागरिकों की मौत और 2,500 से अधिक घायल होने की पुष्टि की है।
700 इजरायली एजेंट गिरफ्तार, 10,000 से अधिक ड्रोन जब्त
ईरान की नूर न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक, संघर्ष के दौरान सुरक्षा एजेंसियों ने करीब 700 इजरायली एजेंटों को गिरफ्तार किया है। इन पर ड्रोन संचालन, विस्फोटक उपकरण बनाना और जासूसी गतिविधियों के आरोप हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया कि तेहरान में 10,000 से अधिक यूएवी (ड्रोन) बरामद किए गए हैं।
रूस का इजरायल पर हमला, IAEA रिपोर्ट का हवाला
संयुक्त राष्ट्र में रूसी राजदूत वसीली नेबेंज़िया ने सुरक्षा परिषद की बैठक में इजरायल और पश्चिमी देशों पर आरोप लगाया कि वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर झूठ फैला रहे हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि ईरान के परमाणु हथियार बनाने के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं।
‘इतिहास का सबसे सफल हमला’ – ट्रंप का दावा
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि अमेरिकी हमलों ने ईरान के परमाणु ठिकानों को “पूरी तरह तबाह” कर दिया है। उन्होंने CNN और न्यूयॉर्क टाइम्स पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि इन मीडिया संस्थानों ने "इतिहास के सबसे सफल सैन्य हमलों" को कमजोर आंकने की कोशिश की।
हालांकि खुफिया एजेंसियों की शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, इन हमलों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट नहीं किया गया है बल्कि यह केवल कुछ महीनों के लिए बाधित हुआ है।
‘युद्ध हमेशा के लिए नहीं था’ – अमेरिकी दूत
अमेरिका के मध्य पूर्व मामलों के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने कहा कि इजरायल और ईरान का यह संघर्ष ‘हमेशा के लिए युद्ध’ नहीं बनना था। उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति ट्रंप का उद्देश्य सिर्फ ईरान की यूरेनियम संवर्धन क्षमता को समाप्त करना था।
उन्होंने कहा, “आज की स्थिति इसका प्रमाण है—अब कोई गोलीबारी नहीं हो रही है। यह टकराव अब समाप्त हो चुका है।”