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"बिग ब्यूटीफुल बिल" अमेरिकी कांग्रेस में पारित, अमेरिका और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर होगा असर?

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Place: नई दिल्ली                                                👤By: prativad                                                                Views: 251

4 जुलाई 2025 — अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित "बिग ब्यूटीफुल बिल" आखिरकार कांग्रेस में पास हो गया है। इसे ट्रंप की एक राजनीतिक जीत के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है, लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव अमेरिकी अर्थव्यवस्था से लेकर वैश्विक वित्तीय ढांचे तक को प्रभावित कर सकते हैं।

🔴 ईलॉन मस्क की तीव्र प्रतिक्रिया: नई पार्टी की चेतावनी
टेस्ला और एक्स (पूर्व में ट्विटर) के प्रमुख ईलॉन मस्क ने इस बिल पर कड़ा विरोध जताते हुए इसे अमेरिका के भविष्य के लिए 'डिजास्टर' बताया है। मस्क ने यह भी कहा कि अगर यह बिल लागू होता है, तो वह अमेरिका में एक नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा कर सकते हैं — जो अमेरिकी राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है।

📉 अर्थशास्त्रियों की चेतावनी: डॉलर की स्थिति पर संकट
दुनिया के जाने-माने निवेशक और अर्थशास्त्री रे डालियो सहित कई विशेषज्ञों ने इस बिल के तहत प्रस्तावित वित्तीय योजनाओं पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि ट्रंप सरकार अपने चुनावी वादों को निभाने के लिए सरकारी खर्च को बेलगाम रूप से बढ़ाएगी, जिससे अमेरिका का कर्ज़ स्तर और फिएट करेंसी (डॉलर) की विश्वसनीयता दोनों पर खतरा मंडराएगा।

💵 कितने डॉलर छापेगा अमेरिका?
विश्लेषकों का अनुमान है कि इस बिल को लागू करने और ट्रंप के आर्थिक वादों को पूरा करने के लिए अमेरिका को $2 ट्रिलियन से $4 ट्रिलियन डॉलर तक की अतिरिक्त नकदी छापनी पड़ सकती है।
यह आंकड़ा आधिकारिक रूप से घोषित नहीं हुआ है, लेकिन फेडरल रिजर्व द्वारा भारी मात्रा में डॉलर प्रिंटिंग की संभावना जताई जा रही है।

⚠️ डॉलर प्रिंटिंग से संभावित खतरे:
अमेरिका में उच्च महंगाई का खतरा

डॉलर की अंतरराष्ट्रीय साख पर असर

कच्चे तेल, सोना और अन्य कमोडिटीज की कीमतों में उछाल

विकासशील देशों की मुद्राओं पर दबाव

वैश्विक निवेश प्रवाह में अस्थिरता

🌍 बिल का वैश्विक असर
यह बिल सिर्फ अमेरिका के अंदरूनी आर्थिक ढांचे तक सीमित नहीं है। यदि अमेरिका अंधाधुंध तरीके से डॉलर छापता है, तो इसका असर वैश्विक शेयर बाजार, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा विनिमय, और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा।

विशेष रूप से वे देश जो डॉलर-आधारित व्यापार और कर्ज़ पर निर्भर हैं, उन्हें मुद्रा अवमूल्यन और महंगाई जैसे गंभीर आर्थिक परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।

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