
6 जुलाई 2025 — दक्षिण कोरिया ने अपने नागरिकों को सीधे नकद सहायता देने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य देश की सुस्त अर्थव्यवस्था को फिर से गति देना है। इस योजना को "उपभोग कूपन" कार्यक्रम के रूप में पेश किया गया है, जो बढ़ते आर्थिक संकट के बीच लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है।
यह योजना 31.8 ट्रिलियन वॉन (लगभग 23.3 अरब डॉलर) के अनुपूरक बजट का हिस्सा है, जिसे हाल ही में नेशनल असेंबली ने मंजूरी दी है। योजना 21 जुलाई से शुरू होकर 12 सितंबर तक लागू रहेगी।
हर नागरिक को मिलेगा नकद भुगतान
18 जून तक दक्षिण कोरिया में निवास कर रहे सभी नागरिकों को एक बार के लिए 1,50,000 वॉन (करीब ₹9,200 या $110) की नकद राशि दी जाएगी। यह भुगतान क्रेडिट/डेबिट कार्ड, प्रीपेड कार्ड या स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी उपहार कूपन के जरिए किया जाएगा।
कमजोर वर्गों को अतिरिक्त सहायता
कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि वाले नागरिकों के लिए अतिरिक्त सहायता का प्रावधान भी किया गया है:
गरीबी रेखा के करीब रहने वाले परिवारों और एकल-अभिभावक परिवारों को 3,00,000 वॉन ($220)
जीवन भत्ता पाने वालों को 4,00,000 वॉन ($290)
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों को अतिरिक्त 50,000 वॉन ($36)
सितंबर में दूसरा चरण
दूसरे चरण में 22 सितंबर से 31 अक्टूबर के बीच देश की निचली 90% आयवर्ग वाली आबादी को 1,00,000 वॉन ($73) की अतिरिक्त राशि दी जाएगी। इस चरण में पात्रता का निर्धारण राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के आधार पर किया जाएगा।
अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश
दक्षिण कोरिया, जो एशिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, 2024 में तकनीकी मंदी से बाल-बाल बचा था। राजनीतिक अस्थिरता और विकास की धीमी गति ने आर्थिक संकट को और गहरा किया। पूर्व राष्ट्रपति यूं सुक येओल पर लगे विद्रोह के आरोप और उनके महाभियोग ने स्थिति को और बिगाड़ा।
नई सरकार का आर्थिक एजेंडा
4 जून को पदभार संभालने वाले नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ली जे-म्यांग ने इस प्रोत्साहन योजना को लागू किया है। उन्होंने डिजिटल वाउचर, नकद सहायता और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित अवसंरचना में निवेश की भी घोषणा की है।
चिंताएं भी बरकरार
हालांकि इस योजना से आम जनता को राहत की उम्मीद है, लेकिन कई अर्थशास्त्री इसके दीर्घकालिक प्रभावों को लेकर सतर्क हैं। उनका मानना है कि नए कर्ज के जरिए इस योजना को फंड किया जा रहा है, जिससे देश का राजकोषीय घाटा 4.2% और राष्ट्रीय ऋण जीडीपी के 49.1% तक पहुंच सकता है, जो एक चिंता का विषय है।