
29 जुलाई 2025। मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन कांग्रेस विधायक व पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने निजी स्कूलों की मनमानी, महंगी किताबें और बेतहाशा फीस वसूली को लेकर सरकार से तीखे सवाल किए। उन्होंने एनसीईआरटी किताबें न लागू किए जाने और कमीशनखोरी के चलते बच्चों पर बढ़ते बस्ते के बोझ का मुद्दा प्रमुखता से उठाया।
अजय सिंह ने कक्षा 3 की किताब दिखाते हुए तंज कसते हुए कहा, "हर साल किताब में सेब का रंग बदल जाता है, ताकि प्रकाशक नई किताबें बेच सकें।" उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकांश निजी स्कूल एनसीईआरटी की बजाय निजी पब्लिकेशन की महंगी किताबें थोप रहे हैं, जिनमें न तो प्रकाशक का नाम होता है और न ही मूल्य अंकित होता है।
विधायक ने कहा कि केंद्र सरकार के निर्देशों के बावजूद प्रदेश में एनसीईआरटी की किताबें लागू नहीं हो पा रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि फीस एक्ट 2017 के तहत निर्धारित शर्तों का पालन नहीं हो रहा। कई स्कूल पोर्टल पर जानकारी अपलोड ही नहीं कर रहे और मनमाने तरीके से फीस बढ़ा रहे हैं।
फीस नियंत्रण कानून को लागू नहीं कर रही सरकार:
अजय सिंह ने कहा कि यदि कोई स्कूल सत्र शुरू होने के 90 दिन पहले अगली वर्ष की फीस संरचना और पिछले तीन वर्षों के वित्तीय लेखा प्रस्तुत नहीं करता, तो उसे फीस वृद्धि की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि 2017 में बने कानून में 2024 में संशोधन के बावजूद उसका प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हुआ है।
मंत्री का जवाब:
स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने जवाब में कहा कि विभाग को मिली शिकायतों पर कार्रवाई की गई है और हर जिले में कलेक्टर को कार्रवाई के लिए अधिकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार निजी व शासकीय स्कूलों में एनसीईआरटी किताबें लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। 2025 में इस संदर्भ में विधानसभा नियमों में संशोधन भी किया गया है।
शिक्षा माफियाओं पर हमला:
अजय सिंह ने कहा कि प्राइवेट स्कूल कमीशन के लालच में छोटे बच्चों पर भारी बस्तों का बोझ डाल रहे हैं, जो बाल अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने प्रशासन पर भी मौन रहने का आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को लगातार उठाती रहेगी।