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भोपाल बना साइबर क्राइम हब, दूसरे राज्यों की पुलिस कर रही खुलासे

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 425

27 अगस्त 2025। राजधानी भोपाल अब साइबर अपराधों का नया गढ़ बनता जा रहा है। ऑनलाइन ट्रेडिंग, फर्जी नौकरी और सोशल मीडिया टास्क जैसे घोटालों से हज़ारों लोग देशभर में ठगे जा रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन रैकेट्स का पर्दाफाश अक्सर दूसरे राज्यों की पुलिस और साइबर सेल कर रही है, जबकि भोपाल पुलिस अधिकतर मामलों में पीछे रह जाती है।

जांच में सामने आया है कि संगठित गिरोह भोपाल से कॉल सेंटर और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए देश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय हैं। ये भोले-भाले लोगों को तेज़ मुनाफे का लालच देकर उनके बैंक खातों से करोड़ों रुपये हड़प रहे हैं।

हालिया साइबर क्राइम केस उदाहरण
फर्जी फेसबुक आइडी मामले: दिसंबर 2024 में भोपाल पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने भोपाल पुलिस कमिश्नर की फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाकर कई लोगों को ठगा। लोगों को सस्ते फर्नीचर ऑफर देकर QR कोड से पैसा ट्रांसफर करवाया गया था।

डिजिटल अरेस्ट स्कैम: 2024 में भोपाल में 'डिजिटल अरेस्ट' के 53 मामले और 2025 के जून तक 17 मामले दर्ज हुए, जिसमें करीब 2.5 करोड़ रुपये की ठगी हुई। ठग खुद को पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं और पैसे वसूलते हैं।

सोशल मीडिया टास्क रिवॉर्ड फ्रॉड: जून 2025 में यूपी एसटीएफ ने तीन युवकों को भोपाल से पकड़ा, जिन्होंने सोशल मीडिया पर वर्क-फ्रॉम-होम के नाम पर लोगों को फर्जी टास्क देते हुए पैसा ठगने का रैकेट चलाया था।

बैंकिंग तथा OTP फ्रॉड: 2021-2025 के बीच भोपाल और मध्यप्रदेश के लोगों को OTP धोखे, फेक कॉल्स, बैंकिंग फ्रॉड और सोशल मीडिया इम्पर्सोनेशन में कुल मिलाकर 1,054 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जबकि मुश्किल से 2 करोड़ की रिकवरी ही हो सकी।

सोशल मीडिया मिज़यूज़ केस: 2024 में राज्यभर में दर्ज 1,082 साइबर क्राइम में से 396 मामले (37%) सोशल मीडिया दुरुपयोग से जुड़े थे, जिनमें साइबर बुलिंग, सेक्सटॉर्शन और इम्पर्सोनेशन भी शामिल है।

APK और लिंक फ्रॉड: भोपाल में APK फाइल या संदिग्ध लिंक भेजकर लोगों के मोबाइल डेटा और बैंकिंग अप्लीकेशन को हैक करके ठगी की घटनाएं बढ़ीं।

फर्जी कस्टमर केयर और फर्नीचर डील के ज़रिए ठगी: भोपाल में कस्टमर केयर नंबर गूगल पर सर्च कर मिलने वाले फर्जी कॉल्स, QR कोड स्कैनिंग और फर्नीचर डील के नाम पर तगड़ा नुकसान हुआ।

बढ़ते मामले व प्रवृत्ति

2025 के पहले छह महीनों में 34,021 साइबर क्राइम केसेस रिपोर्ट हुए, यानी औसतन हर घंटे आठ मामले सामने आए।

सबसे ज्यादा निशाना युवा वर्ग – 2024 में 65% साइबर क्राइम पीड़ित युवा रहे।

ऐशबाग कॉल सेंटर (23 फरवरी, 2025): मास्टरमाइंड अफ़ज़ल खान और उसकी बेटी साहिबा ने ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग योजना से 1,200 से अधिक लोगों को चूना लगाया।

यूपी एसटीएफ कार्रवाई (28 जून, 2025): शहडोल से तीन जालसाज पकड़े गए जो "वर्क-फ्रॉम-होम" के नाम पर ठगी कर रहे थे।

फर्जी नौकरी घोटाला (4 जुलाई, 2025): भोपाल के नबील सिद्दीकी ने बेरोजगार युवाओं से अमेज़न में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 8 लाख रुपये ठगे।

अंबाला ट्रेडिंग केस (18 अगस्त, 2025): अंबाला पुलिस ने भोपाल के चार युवकों को गिरफ्तार कर 8.95 लाख की ठगी का पर्दाफाश किया।

बैंक धोखाधड़ी (20 अगस्त, 2025): 2021 में जमा किए गए दस्तावेजों का दुरुपयोग कर फर्जी बैंक खाता खोला गया, जिससे साइबर ठगी के लेनदेन किए गए।

कानपुर घोटाला (15 अक्टूबर, 2024): भोपाल के रोहित सोनी और उसके साथियों ने 22 करोड़ का फर्जी निवेश घोटाला चलाया, जिससे 20 राज्यों के 250 से ज्यादा लोग ठगे गए।

पुलिस की चुनौती
भोपाल पुलिस का कहना है कि "संयुक्त साइबर अपराध समन्वय दल (JCCT)" से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर स्थानीय ठगों की निगरानी की जा रही है। एडिशनल डीसीपी शैलेंद्र सिंह चौहान के मुताबिक, इस साल मार्च में स्थानीय अपराधियों की पहचान के लिए अभियान शुरू किया गया, मगर पीड़ितों की शिकायतें कम होने से कड़ी कानूनी कार्रवाई करना संभव नहीं हो पाया।

नतीजा
साफ है कि राजधानी में साइबर गिरोह गहरी जड़े जमा चुके हैं। सवाल यह है कि जब देशभर की पुलिस भोपाल में सक्रिय साइबर अपराधियों पर कार्रवाई कर रही है, तो क्या स्थानीय पुलिस भी अब पूरी ताकत लगाकर इन जालसाजों की नकेल कस पाएगी?

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