
एयरटेल एक ग्रीनफ़ील्ड, मल्टी-लेयर्ड, साइबर सिक्योरिटी वर्ष भर चौबीसों घंटे (24x7x365) प्रोटेक्शन इकोसिस्टम को डिज़ाइन, बिल्ड, इम्प्लीमेंट और ऑपरेट करेगा। यह एक मज़बूत डिफेंस ढाल के रूप में काम करेगा, जिससे भारतीय रेलवे का आईटी बैकबोन होगा सुरक्षित, साथ ही अनइंटरप्टेड, सिक्योर और सीमलेस डिजिटल ऑपरेशन भी होगा सुनिश्चित।
इस मज़बूत डेटा सुरक्षा से 1 अरब से ज़्यादा भारतीयों को मिलेगा फायदा - टिकट बुकिंग, पेमेंट, ट्रेन ट्रैकिंग और अन्य सेवाएँ अब होंगी और भी सुरक्षित व आसान।
6 अक्टूबर 2025। एयरटेल बिज़नेस ने भारतीय रेलवे सिक्योरिटी ऑपरेशंस सेंटर (आईआरएसओसी) से एक बहुवर्षीय कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया है जिसके तहत एयरटेल बिजनेस भारत के रेलवे नेटवर्क के डिजिटल बैकबोन को सुरक्षित रखने के लिए कॉम्प्रिहेंसिव, इंडस्ट्री-लीडिंग सिक्योरिटी सर्विसेज़ प्रदान करेगा।
देश की रेलवे सेवाएँ एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संपत्ति हैं, जिनके अंतर्गत रोज़ाना 13,000 से अधिक ट्रेनों का संचालन होता है, यह रोज़ाना 2 करोड़ से अधिक यात्रियों को अपनी सेवाएं उपलब्ध कराती है, लाखों डिजिटल लेन-देन करती है, और हर साल 1.5 अरब टन से अधिक का माल ढोती है। आज जब साइबर खतरे हर तरफ बढ़ रहे हैं, ग्राहकों की पहचान, भुगतान जानकारी, टिकटिंग, ट्रेन ट्रैकिंग, माल ढुलाई और सिग्नलिंग जैसे संवेदनशील डेटाबेस समेत इस विशाल और अहम डेटा प्रवाह की सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण है।
एयरटेल बिज़नेस एडवांस्ड और सेंट्रलाइज़्ड सुरक्षा नियंत्रणों के साथ रेलवे के बड़े डेटाबेस की सुरक्षा के लिए मल्टी-लेयर प्रोटेक्शन तैयार करेगा। यह एक मजबूत और नियमों के अनुसार सुरक्षित बैकएंड सुनिश्चित करते हुए देश की रेलवे सेवाओं के संपूर्ण डिजिटल ऑपरेशंस को भी सुरक्षित रखेगा, जिसमें 26 लोकेशंस पर तैनात 1,60,000 कर्मचारी शामिल हैं।
इसके टेक्नोलॉजी स्टैक में बाज़ार की अग्रणी तकनीक और अत्याधुनिक मेक इन इंडिया साइबर सिक्योरिटी प्रोडक्ट्स शामिल होंगे, जो महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए भारतीय कानूनों के अंतर्गत, पूर्ण रूप से नियमों का पालन करने वाला और एआई-सक्षम सिक्योरिटी इकोसिस्टम प्रदान करेगा।
शरत् सिन्हा, सीईओ व डायरेक्टर – एयरटेल बिज़नेस, ने कहा, “एयरटेल बिज़नेस में, हम समझते हैं कि साइबर खतरों के बढ़ते दौर में संचालन की निरंतरता, डेटा इंटीग्रिटी और यात्रियों की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है, ऐसे में एडवांस्ड डिफेंस मेकैनिज़्म्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमें आईआरएसओसी द्वारा भारत के सबसे बड़े और जटिल डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, जिसमें विशाल रेलवे नेटवर्क और डेटाबेस शामिल हैं, की सुरक्षा मजबूत करने के लिए उनके भरोसेमंद पार्टनर के रूप में चुना जाना सम्मान की बात है। हमारी मज़बूत सिक्योरिटी लेयर टिकटिंग और डेटा मैनेजमेंट में सिक्योरिटी एफिशिएंसी को आगे बढ़ाएगी, रेलवे के सभी डिजिटल ऑपरेशंस को लगातार बढ़ रहे साइबर खतरों से सुरक्षित रखेगी और लाखों रोज़ाना रेलवे यात्रियों को सुरक्षित और सहज डिजिटल सेवाएँ प्रदान करेगी।"
दिलीप कुमार, ईडीआईपी — रेलवे बोर्ड, ने कहा, "ऑपरेशन, रखरखाव, उत्पादन और संसाधनों की खरीद के लिए डिजिटल सूचना और संचार तकनीकों पर बढ़ती निर्भरता के कारण, साइबर सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। आईआरएसओसी की स्थापना से एक केंद्रीकृत सुरक्षा संचालन केंद्र उपलब्ध होगा, जो भारतीय रेलवे की संपत्तियों की लगातार निगरानी करेगा, साइबर खतरों का कुशलता से पता लगाएगा और उनका समाधान करेगा, खतरे से जुड़ी जानकारी एकत्र करेगा और राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसियों के साथ उचित सहयोग सुनिश्चित करेगा। इसके अलावा, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से जुड़े संसाधनों के संचालन और रखरखाव को सुव्यवस्थित करने से सेवा वितरण में सुधार होगा और निरंतर सेवाएँ प्रदान कर यात्रियों के हित सुरक्षित रहेंगे।
एयरटेल सिक्योर के साथ, इंडियन रेलवे को एक सेंट्रलाइज़्ड सिक्योरिटी आर्किटेक्चर का लाभ मिलेगा, जो निम्नलिखित सुविधाएँ प्रदान करेगा:
यूनिफाइड कम्प्लायंस एंड विज़िबिलिटी: एक कॉम्प्रिहेंसिव कम्प्लायंस डैशबोर्ड तैयार किया गया है, जो 26 से ज्यादा लोकेशंस और सभी इंटीग्रेटेड सिक्योरिटी टूल्स में सेंट्रलाइज़्ड विज़िबिलिटी और रियल-टाइम मॉनिटरिंग प्रदान करता है।
एडवांस्ड एंडपॉइंट प्रोटेक्शन: यह एक एआई-संचालित एंडपॉइंट डिटेक्शन और रिस्पॉन्स उन्नत साइबर सुरक्षा समाधान है, जो सुनिश्चित करता है कि सभी एंडपॉइंट्स (उपकरण) लगातार मॉनिटर किए जाएँ और सुरक्षित रहें।
रोबस्ट पैच एंड वल्नरेबिलिटी मैनेजमेंट: 26 लोकेशंस और सब-लोकेशंस पर 190,000 से ज्यादा क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर संसाधनों और इन्वेंटरीज़ की निगरानी एक ही स्क्रीन से और रियल टाइम में की जाएगी।
नेक्स्ट-जेन मॉनिटरिंग: जो मशीन लर्निंग और बिहेवियरल एनालिटिक्स का उपयोग करके खतरों की रियल टाइम में लगातार निगरानी, पूर्वानुमान और निस्तारण करते हैं — जिससे औसत खतरे की पहचान का समय (एमटीटीडी) 20 सेकंड से भी कम हो जाता है, जो इंडस्ट्री में सबसे तेज़ है।
थ्रेट इंटेलिजेंस एंड डार्क वेब मॉनिटरिंग: बिज़नेस ऑपरेशंस पर असर डालने से पहले खतरों की सक्रिय रूप से निगरानी करना और उन्हें पहचानना।
मजबूत नेटवर्क और एक्सेस कंट्रोल: फायरवॉल, राउटर, एमपीएलएस नेटवर्क और पासवर्ड के लिए सुरक्षा उपाय, जो महत्वपूर्ण एप्लिकेशन की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।