18 दिसंबर 2025। अमेरिका द्वारा रूस की प्रमुख तेल कंपनियों पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद दिसंबर में भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात स्थिर रहने की उम्मीद है। रॉयटर्स ने बुधवार को यह जानकारी दी।
रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की दो बड़ी तेल उत्पादक कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर अमेरिकी कार्रवाई के बाद भारत की खरीद में गिरावट की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन भारतीय रिफाइनर अब उन रूसी कंपनियों से तेल खरीद रहे हैं, जो प्रतिबंधों के दायरे में नहीं हैं और बड़े डिस्काउंट पर क्रूड ऑयल ऑफर कर रही हैं।
फाइनेंशियल मार्केट डेटा प्रोवाइडर LSEG के आंकड़ों का हवाला देते हुए रॉयटर्स ने बताया कि दिसंबर में भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात 1.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन से अधिक रहने की संभावना है। एक ट्रेड सूत्र ने कहा कि महीने के अंत तक यह आंकड़ा औसतन 1.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक पहुंच सकता है।
न्यूज़ एजेंसी ने दो सूत्रों के हवाले से बताया कि देश की सबसे बड़ी सरकारी रिफाइनर इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन रूस से उसी स्तर पर तेल खरीद रही है, जैसा प्रतिबंधों से पहले था। वहीं भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ने दिसंबर में दो कार्गो से जनवरी के लिए अपनी खरीद बढ़ाकर कम से कम छह कार्गो कर दी है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम भी जनवरी के लिए अतिरिक्त खरीद पर बातचीत कर रही है।
अमेरिका ने 22 अक्टूबर को इन प्रतिबंधों की घोषणा की थी और कंपनियों को 21 नवंबर तक रोसनेफ्ट और लुकोइल के साथ मौजूदा सौदे खत्म करने की समयसीमा दी थी। वहीं यूरोपीय संघ ने 21 जनवरी की डेडलाइन तय की है, जिसके बाद रूसी कच्चे तेल को प्रोसेस करने वाली रिफाइनरियों से फ्यूल स्वीकार नहीं किया जाएगा।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक है। नवंबर में भारत ने औसतन 1.77 मिलियन बैरल प्रतिदिन रूसी तेल आयात किया, जो अक्टूबर की तुलना में 3.4 प्रतिशत अधिक है।
यूक्रेन युद्ध को लेकर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद भारत और रूस के द्विपक्षीय संबंध मजबूत बने हुए हैं। इसी महीने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और भारत को बिना किसी रुकावट के ऊर्जा आपूर्ति जारी रखने का भरोसा दिया।
रूस 2022 से भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। इसके चलते भारत न सिर्फ सस्ता कच्चा तेल खरीद रहा है, बल्कि रिफाइंड फ्यूल का एक प्रमुख निर्यातक भी बन गया है, खासतौर पर यूरोपीय बाजारों में।
इस बीच, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत और रूस 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लिए एक साझा फ्रेमवर्क पर काम कर रहे हैं। फिलहाल दोनों देशों के व्यापार में ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र का वर्चस्व है।














