18 दिसंबर 2025। भारत और रूस 2030 तक आपसी व्यापार को $100 बिलियन तक पहुंचाने के लिए एक ठोस फ्रेमवर्क पर काम कर रहे हैं। मॉस्को में भारत के राजदूत विनय कुमार ने कहा है कि नई दिल्ली के पास रूस के साथ व्यापार को एनर्जी और डिफेंस से आगे ले जाने के लिए एक डिटेल्ड और व्यावहारिक योजना तैयार है।
मॉस्को में आयोजित XVI रशियन–इंडियन बिज़नेस डायलॉग में राजदूत कुमार ने बताया कि दोनों देशों ने 2030 के लिए एक स्ट्रेटेजिक इकोनॉमिक प्लान पर सहमति बना ली है। यह प्लान सेक्टर-वाइज टारगेट तय करता है और यह भी साफ करता है कि किन संस्थाओं और एजेंसियों को जिम्मेदारी निभानी है और प्रगति की निगरानी कैसे होगी।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बीते दो सालों में भारत–रूस व्यापार छह गुना से ज्यादा बढ़ा है और 2024 में इसके $65 बिलियन के पार जाने का अनुमान है। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 2030 तक $100 बिलियन ट्रेड का लक्ष्य तय किया था। इसके बाद, इस महीने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नई दिल्ली यात्रा में इंफ्रास्ट्रक्चर, एनर्जी, फार्मा और मीडिया से जुड़े एक दर्जन से ज्यादा समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।
बिज़नेस डायलॉग में रूसी अधिकारियों ने भी माना कि मौजूदा व्यापार में एनर्जी और डिफेंस का वर्चस्व है और अब इसे विविध बनाने की जरूरत है। मॉस्को शहर के फॉरेन इकोनॉमिक एंड इंटरनेशनल रिलेशंस डिपार्टमेंट के प्रमुख सर्गेई चेरियोमिन ने भारत के स्मार्ट सिटी मिशन को सहयोग का बड़ा मौका बताया। उनके मुताबिक, मॉस्को वीडियो एनालिटिक्स और बिग डेटा प्रोसेसिंग जैसे एडवांस्ड डिजिटल सॉल्यूशंस के जरिए हाई-एंड वीडियो सर्विलांस सिस्टम विकसित करने में मदद कर सकता है।
लेबर मोबिलिटी भी बातचीत का अहम मुद्दा रहा। रूस में खासकर इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में कामगारों की भारी कमी है। रूसी श्रम मंत्रालय का अनुमान है कि 2030 तक यह कमी 3.1 मिलियन वर्कर्स तक पहुंच सकती है। इसी जरूरत को देखते हुए, हजारों भारतीय ब्लू-कॉलर वर्कर्स पहले ही इंडस्ट्रियल, कंस्ट्रक्शन और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में रूसी कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं।
इस बीच, भारत अगस्त से यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर सक्रिय बातचीत कर रहा है। इस ब्लॉक में रूस, कजाकिस्तान, बेलारूस, आर्मेनिया और किर्गिस्तान शामिल हैं। प्रस्तावित FTA से भारत को इन बाजारों में बेहतर पहुंच मिलेगी, टैरिफ कम होंगे और कस्टम व कानूनी प्रक्रियाएं आसान होंगी। इसका सीधा फायदा मिड-लेवल बिज़नेस और किसानों तक पहुंचने की उम्मीद है।
कुल मिलाकर, भारत–रूस रिश्ते अब सिर्फ रणनीतिक साझेदारी तक सीमित नहीं हैं। दोनों देश इसे एक लंबी दूरी के आर्थिक खेल में बदलने की तैयारी में हैं।














