
19 अक्टूबर 2025। अमेरिकी रक्षा विभाग (Pentagon) अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि भविष्य के युद्ध सिद्धांत का केंद्र मान रहा है। “Inside the Pentagon’s AI Revolution” शीर्षक वाले हालिया विश्लेषण में यह सामने आया है कि अमेरिका की सेनाएँ अब युद्ध की पारंपरिक सोच बदल रही हैं—जहां सैनिकों के साथ अब मशीनें भी "देखेंगी, सोचेंगी और कार्रवाई करेंगी"।
युद्ध का नया चेहरा: इंसान + मशीन गठजोड़
अमेरिकी सेना का मानना है कि आने वाले वर्षों में युद्ध "ह्यूमन-एंड-मशीन टीमिंग" के रूप में लड़े जाएंगे। यानी, स्वचालित ड्रोन, रोबोटिक वाहनों और एआई आधारित सिस्टम्स के साथ इंसान एक संयुक्त यूनिट की तरह काम करेंगे।
अमेरिकी सेना के सचिव डैन ड्रिस्कॉल ने स्वीकार किया कि अब तक सेना की खरीद प्रक्रिया बेहद जटिल रही है — किसी भी तकनीक को मंजूरी के लिए 16 चरणों से गुजरना पड़ता था, जिससे नवाचार रुक जाता था। अब सेना ने यह सिस्टम तोड़कर सीधे चीफ ऑफ स्टाफ और सचिव के अधीन तेज परीक्षण और स्वीकृति की नई नीति शुरू की है।
संरचना और मानसिकता में बदलाव सबसे बड़ी चुनौती
पूर्व उप रक्षा सचिव कैथलीन हिक्स के अनुसार, “संस्कृति में बदलाव ही सबसे कठिन हिस्सा है।” उन्होंने कहा कि पेंटागन से लेकर कैपिटल हिल और उद्योग जगत तक — सभी जगह पुरानी कार्यप्रणालियों में जकड़े रहने की प्रवृत्ति मौजूद है।
AI पहले से डेटा विश्लेषण, निगरानी और विस्फोटक उपकरणों की पहचान जैसे कामों में इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन अब फोकस “स्वायत्तता” (Autonomy) पर है — यानी ऐसी मशीनें जो खुद निर्णय ले सकें और कार्रवाई कर सकें।
यूक्रेन युद्ध बना ‘AI प्रयोगशाला’
रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन युद्ध आज “Silicon Valley of War” की तरह बन गया है, जहां एआई आधारित ड्रोन और स्वायत्त प्रणालियाँ युद्ध के तौर-तरीके बदल रही हैं। अमेरिकी सेना इन अनुभवों से सबक ले रही है ताकि अपने हथियार और सिस्टम को तेजी से अपडेट कर सके।
ड्रिस्कॉल ने कहा, “मैंने हाल ही में देखा कि एक एयर डिफेंस सिस्टम 30 साल पुराने लैपटॉप पर चल रहा था, जबकि उसे ऑपरेट करने वाला सैनिक 22 साल का था। यह अस्वीकार्य है। हमें हर दो हफ्ते में सिस्टम अपडेट करने की क्षमता चाहिए।”
ड्रोन स्वॉर्म: भविष्य का युद्धक्षेत्र
Shield AI नामक कंपनी के सीईओ रयान सैंग ने बताया कि भविष्य के युद्धों में हजारों ड्रोन और रोबोटिक वाहनों की “स्वॉर्म” यानी झुंड आधारित रणनीति काम करेगी।
“मानव मस्तिष्क इतनी बड़ी संख्या में आने वाले 1000 ड्रोन से रक्षा का निर्णय उस गति से नहीं कर सकता, जितनी तेज़ी से एआई कर सकता है,” उन्होंने कहा।
अर्थात आने वाले वर्षों में "AI बनाम AI" यानी मशीनों के बीच जंग भी देखने को मिल सकती है।
यूरोप में भी बढ़ा दबाव
जर्मनी की ऑटोनॉमस ट्रकिंग कंपनी Fernride के सीईओ हेनरिक क्रेमर ने बताया कि यूरोप में भी युद्ध की संभावनाओं और रूस-यूक्रेन संघर्ष ने “बिना चालक वाले सैन्य और लॉजिस्टिक वाहनों” की मांग बढ़ा दी है। इन तकनीकों का इस्तेमाल रक्षा और सिविल दोनों क्षेत्रों में हो सकेगा।
मानव निर्णय अब भी जरूरी
वीडियो में यह भी स्पष्ट किया गया कि एआई तकनीक भले युद्ध को तेज और सटीक बनाए, परंतु “युद्ध का अंतिम निर्णय इंसान को ही लेना होगा।”
कैथलीन हिक्स ने कहा, “AI हमारे सैनिकों की जगह नहीं ले सकता, लेकिन उनकी गति और सटीकता को बढ़ा सकता है। हमें पारंपरिक रक्षा उद्योग के अनुभव के साथ स्टार्टअप्स की नवाचार क्षमता दोनों की जरूरत है।”
तेज़ी से बदलता युद्ध का समीकरण
पेंटागन की यह एआई क्रांति केवल तकनीकी प्रयोग नहीं है—यह युद्ध की पूरी सोच बदलने की दिशा में कदम है।
अब सवाल यह नहीं कि एआई कब युद्ध में शामिल होगा, बल्कि यह है कि क्या सैन्य संस्थान इतनी तेजी से खुद को बदल पाएंगे जितनी तेजी से तकनीक बदल रही है।