×

कौन-सी भावना कितनी शक्तिशाली? क्यों कहा जाता है कि भावनाएं भी Frequency हैं, चेतना का विज्ञान

News from Bhopal, Madhya Pradesh News, Heritage, Culture, Farmers, Community News, Awareness, Charity, Climate change, Welfare, NGO, Startup, Economy, Finance, Business summit, Investments, News photo, Breaking news, Exclusive image, Latest update, Coverage, Event highlight, Politics, Election, Politician, Campaign, Government, prativad news photo, top news photo, प्रतिवाद, समाचार, हिन्दी समाचार, फोटो समाचार, फोटो
Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 185

◼️ भावनाओं की फ्रीक्वेंसी को समझने का अनोखा ढांचा

18 नवंबर 2025। मानव चेतना सिर्फ सोचने-समझने या जागने-सोने का मामला नहीं है। इसके पीछे एक पूरा भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक सिस्टम काम करता है। इसी सिस्टम को समझाने के लिए अमेरिकी मानसिक चिकित्सक डॉ. डेविड आर. हॉकिंस ने एक मॉडल बनाया—Map of Consciousness, जिसे आध्यात्मिक जगत में “फ्रीक्वेंसी ऑफ इमोशंस” भी कहा जाता है।

यह मॉडल इंसानी भावनाओं को 1 से 1000 तक के लॉगारिथ्मिक स्केल पर रखता है। जितनी ऊँची फ्रीक्वेंसी, उतनी हल्की, विस्तृत और सकारात्मक चेतना।
जितनी कम फ्रीक्वेंसी, उतना भारी, सिकुड़ा और नकारात्मक मानसिक स्पेस।

यह मॉडल आध्यात्मिक है, लेकिन लाखों लोग इसे मानसिक स्वास्थ्य, माइंडफुलनेस, ह्यूमन बिहेवियर और पर्सनल डेवलपमेंट में उपयोग करते हैं।





◼️ यह फ्रीक्वेंसी है क्या?
ध्यान रहे—यह scientific hertz frequency नहीं है।
यह एक कैलिब्रेशन वैल्यू है, जो बताती है कि कोई भावना चेतना को कितना विस्तृत या संकुचित करती है।

◼️ नीची फ्रीक्वेंसी = डर, शर्म, गुस्सा, अहं

◼️ ऊँची फ्रीक्वेंसी = प्रेम, शांति, आनंद, जागरूकता

हॉकिंस के अनुसार, इंसान की चेतना लगातार इसी स्पेक्ट्रम में ऊपर-नीचे होती रहती है।

◼️ Lowest Levels (1–100): Heavy, Contractive States

ये भावनाएँ इंसान को कमजोर, डरे हुए, असहाय या अंदर से बंद कर देती हैं।

◼️ Shame – 20
यह सबसे निचला स्तर है। व्यक्ति अपनी ही पहचान से घृणा करने लगता है।

◼️ Guilt – 30
अत्यधिक पछतावा और आत्म-न्याय।

◼️ Apathy – 50
उदासीनता, जीवन से हार मानने का भाव।

◼️ Grief – 75
गहरा शोक, नुकसान का दर्द।

◼️ Fear – 100
भविष्य, लोगों या परिस्थितियों से लगातार डर।
इन भावनाओं में व्यक्ति समस्याओं से बाहर निकलने के बजाय अंदर और धँसता जाता है।
Low-Mid Levels (100–200): Reaction and Struggle Zone
यहाँ चेतना सक्रिय होती है, लेकिन संघर्ष और नियंत्रण की भावना से भरी।

◼️ Desire – 125
लालसा और निर्भरता—कुछ पाने के बिना चैन नहीं।

◼️ Anger – 150
निराशा से निकला गुस्सा।
कुछ लोगों के लिए यह परिवर्तन की शुरुआत भी बनता है।

◼️ Pride – 175
अहं की तुष्टि। सतही आत्मविश्वास, पर भीतर insecurity।

◼️ The Turning Point (200): Courage
◼️ Courage – 200
यही वह “ब्रेकिंग लाइन” है जहाँ व्यक्ति नकारात्मक चेतना से सकारात्मक चेतना की ओर जाता है।
यह स्तर बताता है कि व्यक्ति अब जिम्मेदारी ले सकता है, सीख सकता है, आगे बढ़ सकता है।

◼️ High Consciousness Levels (200–500): Growth, Clarity, Inner Stability
◼️ Neutrality – 250
चीज़ों को जैसे हैं वैसे स्वीकार करना, बिना ड्रामा।
लोग यहाँ अपेक्षाकृत शांत और balanced रहते हैं।

◼️ Willingness – 310
सीखने, करने और सुधारने की इच्छा।
यह लेवल productivity बढ़ाता है।

◼️ Acceptance – 350
व्यक्ति अपने जीवन की जिम्मेदारी समझता है।
यहाँ blame culture खत्म होता है।

◼️ Reason – 400
तर्क, ज्ञान, विश्लेषण, clarity—scientists, thinkers अक्सर इसी रेंज में काम करते हैं।
Very High States (500–600): Heart-centered Consciousness
यहाँ चेतना बुद्धि से ऊपर उठकर करुणा और एकत्व की तरफ जाती है।

◼️ Love – 500
यह “रोमांटिक प्यार” नहीं—
यह unconditional, expansive love है।

◼️ Joy – 540
भीतर की स्थायी खुशी, gratitude और flow-state।

◼️ Peace – 600
गहरे ध्यान जैसी स्थिरता।
बहुत कम लोग इस अवस्था को लंबे समय तक बनाए रख पाते हैं।

◼️ Highest Levels (600–1000): Enlightened States
ये स्तर दुर्लभ हैं। हॉकिंस ने इन्हें “non-dual awareness” कहा।

◼️ Enlightenment – 700 to 1000
पारंपरिक संत, सूफ़ी, योगी, ध्यान-गुरु—जिन्हें हम आध्यात्मिक रूप से उच्च मानते हैं—इस रेंज में रखे जाते हैं।

◼️ Pure Consciousness – 1000
संपूर्ण एकत्व का अनुभव—जहाँ “मैं” और “दुनिया” का अलगाव समाप्त हो जाता है।

इस मॉडल की महत्ता
यह मॉडल दावा नहीं करता कि ये विज्ञान की तरह मापे जा सकते हैं।
लेकिन:
यह भावनाओं को समझने का बेहद सरल तरीका देता है
मानसिक विकास को दिशा देता है
आध्यात्मिक प्रैक्टिस को स्पष्ट बनाता है
यह दिखाता है कि चेतना लाइनियर नहीं—स्पेक्ट्रम है
और सबसे ज़रूरी: यह बताता है कि हम भावनात्मक रूप से कहाँ अटके हैं, और कहाँ पहुँच सकते हैं

संक्षेप में : Fear से Love तक, शर्म से Enlightenment तक
कमी से विस्तार तक— मानव चेतना लगातार एक यात्रा में है।
और यह मॉडल उस यात्रा का नक्शा है।

Related News

Global News