1 दिसंबर 2025। सिलिकॉन वैली और बर्लिन की स्टार्टअप्स ने तय कर लिया है कि पहनने वाली तकनीक अब पुरानी हो चुकी है। इसलिए उन्होंने बनाए हैं RGB लाइट इम्प्लांट—छोटे-से डिवाइस जो त्वचा के नीचे लगाए जाते हैं और मोबाइल ऐप से ही आप उनका रंग और ब्राइटनेस बदल सकते हैं। मतलब मूड लाइटिंग अब आपके बदन पर।
फिलहाल इसका मेडिकल उपयोग लगभग शून्य है, लेकिन टेक एक्सपर्ट मानते हैं कि यह पर्सनल इलेक्ट्रॉनिक्स और बॉडी मॉडिफिकेशन की एक नई, थोड़ा पागल लेकिन रोमांचक दुनिया खोल रहा है।
इन इम्प्लांट्स के शुरुआती फैन वही हैं जिनकी उम्मीद थी—युवा क्रिएटर्स, गेमर्स, साइबरपंक संस्कृति से जुड़े लोग, और वो लोग जो हमेशा अपनी गेमिंग पीसी की तरह चमकना चाहते थे। कई लोग इसे सीधी भाषा में “परमानेंट कॉस्प्ले” भी कह रहे हैं।
मेकर कंपनियां बार-बार भरोसा दिला रही हैं कि ये इम्प्लांट पूरी तरह सुरक्षित हैं—बायोकम्पैटिबल मटेरियल, कम दर्द वाला प्रोसीजर वगैरह। लेकिन संदेहियों के सवाल भी वाजिब हैं: लंबे समय में इसका शरीर पर क्या असर? इंफेक्शन का रिस्क? और सबसे बड़ी बात—शरीर के अंदर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस रखना क्या सही है? अभी किसी के पास पक्के जवाब नहीं हैं।
क्रिएटिव इंडस्ट्री ने भी इसे झट से पकड़ लिया है। फैशन डिजाइनर इन ग्लोइंग इफेक्ट्स को अपने डिजाइनों में शामिल कर रहे हैं। म्यूज़िशियन लाइव शो में इन्हें बीट के साथ सिंक कर रहे हैं। अभी शुरुआत है, लेकिन आर्ट वर्ल्ड इसे अपनाने में पीछे नहीं है।
मार्केट एनालिस्ट्स का अनुमान है कि अगर समाज इस “स्मार्ट बॉडी एक्सेसरी” कॉन्सेप्ट को खुले दिल से स्वीकार कर ले, तो 2027 तक यह बाजार कई सौ मिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है। कम से कम क्लब में अपने दोस्तों को ढूंढना तो आसान हो ही जाएगा।
RGB इम्प्लांट फिलहाल नई लहर हैं—थोड़ी अजीब, थोड़ी साहसी, लेकिन हमारी टेक-दीवानी दुनिया किस हद तक जाने को तैयार है, इसका साफ इशारा देती हुई।














