अप्रैल से सितंबर के बीच विदेशों से 64 टन सोना लौटाया गया
2 नवंबर 2025। पश्चिमी देशों द्वारा रूस की 300 अरब डॉलर से अधिक की संपत्तियों को ज़ब्त किए जाने की घटनाओं के बाद, भारत ने भी अपने विदेशी भंडार की सुरक्षा को लेकर सतर्क रुख अपनाया है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में (अप्रैल से सितंबर) विदेशों में रखे गए अपने सोने का एक बड़ा हिस्सा वापस देश में लाने की प्रक्रिया तेज़ कर दी है।
RBI की नवीनतम अर्धवार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में लगभग 64 टन सोना विदेशी तिजोरियों से भारत लाया गया। सितंबर के अंत तक केंद्रीय बैंक के पास कुल 880.18 मीट्रिक टन स्वर्ण भंडार था, जिसमें से 575.82 मीट्रिक टन अब भारत में सुरक्षित है। बाकी 290.37 मीट्रिक टन बैंक ऑफ इंग्लैंड (BoE) और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) में रखा गया है, जबकि 13.99 मीट्रिक टन सोना जमा के रूप में है।
यह रुझान नया नहीं है। पिछले वर्ष अक्टूबर में RBI ने इंग्लैंड और BIS से 102 टन सोना वापस भारत मंगवाया था। इस साल मई में भी करीब 100 टन सोना स्थानांतरित किया गया, जिसे विशेषज्ञों ने 1990 के दशक के बाद सबसे बड़ा स्वर्ण स्थानांतरण बताया है।
विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़ी वैश्विक अस्थिरता और पश्चिमी प्रतिबंधों के डर से जुड़ा है। रूस के विदेशी मुद्रा भंडार को फ्रीज किए जाने के बाद कई देशों ने अपने स्वर्ण भंडार को सुरक्षित घरेलू तिजोरियों में स्थानांतरित करना शुरू किया।
निवेश फर्म PineTree Macro के संस्थापक रितेश जैन ने Economic Times से कहा, “RBI को अपने सोने की वापसी में और तेजी लानी चाहिए। जब अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन नहीं हो रहा और संपत्तियां जब्त की जा रही हैं, तब अगर आपके पास अपने सोने की कस्टडी नहीं है — तो वह वास्तव में आपका नहीं है।”
इस बीच, Citadel Hedge Fund के संस्थापक केन ग्रिफिन ने हाल ही में कहा कि निवेशक अब अमेरिकी डॉलर की तुलना में सोने को अधिक भरोसेमंद मान रहे हैं। डॉलर की कमजोरी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की व्यापार नीतियों से जुड़ी अनिश्चितताओं ने इस धारणा को और मजबूत किया है।
भारत का यह कदम न केवल आर्थिक सुरक्षा को लेकर उसकी सावधानी दिखाता है, बल्कि बदलते वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में स्वर्ण भंडार की अहमियत को भी रेखांकित करता है।














