21 दिसंबर 2025। भारत ने अपने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को पहली बार प्राइवेट कंपनियों के लिए खोलने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। संसद के निचले सदन ने बुधवार को सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया यानी ‘शांति’ बिल को पास कर दिया।
इस कानून का मकसद 2047 तक देश की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 100 गीगावाट तक पहुंचाना है।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में कहा, “दुनिया तेजी से स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रही है। भारत ने भी 2047 तक 100 GW परमाणु ऊर्जा क्षमता का स्पष्ट लक्ष्य तय किया है।”
नया कानून प्राइवेट कंपनियों को परमाणु ऊर्जा संयंत्र चलाने के लिए लाइसेंस देने का प्रावधान करता है। इसके साथ ही ईंधन और टेक्नोलॉजी सप्लायर्स से जुड़े विवादित देनदारी प्रावधानों में बदलाव किया गया है। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, दुर्घटना की स्थिति में ऑपरेटरों की जिम्मेदारी और मुआवजे के नियमों को भी तर्कसंगत बनाया गया है।
अब तक मौजूद देनदारी कानूनों को विदेशी परमाणु सप्लायर्स के लिए एक बड़ी बाधा माना जाता था, जिससे भारत में परमाणु टेक्नोलॉजी और उपकरणों के आयात में दिक्कत आ रही थी।
प्रस्तावित कानून के तहत परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 को रद्द करने का रास्ता साफ किया गया है।
यह कदम भारत के दीर्घकालिक ऊर्जा रोडमैप का हिस्सा है, जिसमें 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन बिजली क्षमता स्थापित करने और 2047 तक कम से कम 100 GW परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य शामिल है।
इस साल की शुरुआत में केंद्र सरकार ने संघीय बजट में 2.35 बिलियन डॉलर आवंटित कर एक राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा मिशन की घोषणा भी की थी।
रूस की सरकारी कंपनी रोसाटॉम भारत की प्रमुख परमाणु टेक्नोलॉजी सप्लायर बनी हुई है। वह तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र विकसित कर रही है, जिसकी कुल प्रस्तावित क्षमता करीब 6 GW है।
इसके अलावा भारत दूरदराज और ग्रिड से कटे इलाकों में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर लगाने के विकल्पों पर भी काम कर रहा है। इस दिशा में रूस, फ्रांस और अमेरिका के साथ तकनीकी स्तर पर बातचीत चल रही है।
सरकारी कंपनी NTPC के साथ-साथ टाटा पावर, अदानी पावर और वेदांता जैसी निजी कंपनियों ने भी परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं में दिलचस्पी दिखाई है। NTPC का लक्ष्य अगले 20 वर्षों में करीब 62 बिलियन डॉलर के निवेश से 30 GW परमाणु ऊर्जा क्षमता विकसित करना है।














