नई दिल्ली बोली—सज़ा जैसी नीतियां छोड़कर लोगों की जरूरतों पर ध्यान दें
11 दिसंबर 2025। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में अफगानिस्तान के लिए मानवीय सहायता और समन्वित अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की मांग की।
UN में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि नई दिल्ली काबुल के साथ अपने ऐतिहासिक और सभ्यतागत रिश्तों को अहम मानता है और अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और विकास को मजबूती देने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से जुड़े मुद्दों पर क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर तालमेल बेहद जरूरी है। “सही तरह की जुड़ाव नीति सकारात्मक कदमों को आगे बढ़ाती है,” हरीश ने कहा। “हम UN और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हैं कि वे ऐसी नीतियां अपनाएं जो लगातार अफगान लोगों को लाभ पहुंचाएं, न कि उन्हें दंडित करें।”
भारत का टेक्निकल मिशन एम्बेसी स्तर पर अपग्रेड
भारतीय राजदूत के मुताबिक, काबुल में भारत के टेक्निकल मिशन को एम्बेसी जैसा दर्जा देने का फैसला इस बात का संकेत है कि नई दिल्ली अफगानिस्तान की विकास जरूरतों को पूरा करने को लेकर गंभीर है।
अमेरिकी वापसी के बाद अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने काबुल में अपना दूतावास बंद कर दिया था। बाद में यह इमारत मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए तकनीकी मिशन के तौर पर काम करती रही।
अक्टूबर में रिश्तों में नई गर्माहट
भारत और अफगानिस्तान ने अक्टूबर में दोबारा राजनयिक रिश्ते बहाल करने पर सहमति जताई थी, जब अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी नई दिल्ली आए थे।
उनकी मुलाकात के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत अफगानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता का सम्मान करता है।
जयशंकर ने जम्मू-कश्मीर में अप्रैल में हुए आतंकी हमलों के बाद सुरक्षा चिंताओं पर काबुल की समझदारी की सराहना भी की। मुत्ताकी ने आश्वासन दिया कि अफगान जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा।
इस बीच, अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर हाल की झड़पों और काबुल द्वारा इस्लामाबाद पर एयर स्ट्राइक के आरोपों ने क्षेत्रीय तनाव को फिर से बढ़ाया है।














